सुरक्षा कारणों से चीन के संवेदनशील तकनीक क्षेत्र में अमेरिकी निवेश पर बैन

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गार्डियन की र‍िपोर्ट के मुताबिक बाइडन ने अमेरिकी संसद को लिखे अपने पत्र में कहा कि वह राष्‍ट्रीय आपातकाल घोषित कर रहे हैं ताकि सेना, खुफिया एजेंसी, निगरानी या साइबर क्षमता जैसे अहम क्षेत्र में चीन जैसे देशों से पैदा हुए खतरे का सामना किया जा सके। इस प्रस्‍ताव में उन न‍िवेश को निशाना बनाया गया है जिसमें चिप और उन्‍हें बनाने के उपकरण बनाने वाली चीनी कंपनियों में निवेश किया जाता है। अमेरिका, जापान और नीदरलैंड इन क्षेत्रों में महारत रखते हैं और अब चीन की सरकार इसका स्‍वदेशी व‍िकल्‍प बनाने में जुट गई है।

अमेरिका के पैसे से आगे बढ़ा चीन

अमेरिका के इस कदम से अब चीन के साथ उसका तनाव भड़कना तय माना जा रहा है। अमेरिका और चीन दोनों ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं। इस बीच अमेरिकी अधिकारियों ने जोर देकर कहा है कि इस रोक का उद्देश्‍य राष्‍ट्रीय सुरक्षा को लेकर पैदा हुए बड़े खतरे से निपटना है। इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों देशों को अलग नहीं करना है। अमेरिका और दुनिया की फैक्‍ट्री चीन दोनों ही एक-दूसरे पर बहुत ज्‍यादा निर्भर हैं। चीन में अमेरिका के उद्योगपतियों ने बड़े पैमाने पर न‍िवेश कर रखा है। बाइडन के इस फैसले को बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमेरिका डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता चुक शूमर ने बाइडन के इस आदेश की प्रशंसा की और कहा कि लंबे समय से अमेरिकी पैसे चीन को अपनी सेना को मजबूत करने में मदद मिली है। वहीं व‍िपक्षी रिपब्लिकन पार्टी ने इस फैसले की आलोचना की है। अमेरिका का यह प्रतिबंध अगले साल से लागू होने जा रहा है। इससे पहले भारत ने चीन और उसके न‍िवेश पर चौतरफा प्रहार किया था। भारत ने न केवल चीनी कंपनियों के भारत में न‍िवेश पर रोक लगाई है बल्कि चीन के सैकड़ों ऐप पर बैन लगा दिया है। भारत ने यह कदम गलवान हिंसा के बाद उठाया है। हाल ही में भारत ने चीन के बीवाईडी कंपनी के निवेश प्रस्‍ताव पर रोक लगाई है।

Compiled: up18 News


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