ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे की मांग का विरोध करते हुए मस्जिद प्रबंधन की तरफ से दाखिल आपत्तियों में लिखा गया है कि, “यह कहना कि कोई पुराने मंदिर को मुसलमान आक्रमणकारी ने आक्रमण करके तोड़ दिया और सन 1580 (एडी) में उसी स्थान पर राजा टोडर मल ने मंदिर पुनः स्थापित किया, सरासर गलत और झूठ है.”
हिन्दू पक्ष की एएसआई सर्वे की याचिका पर आपत्ति जताते हुए मस्जिद पक्ष लिखता हैं, “वादीगण दुर्भावनावश हिन्दू मुसलमान के बीच नफरत पैदा करने के उद्देश्य से मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहा जो सत्य से परे है.”
अपने जवाब के तीसरे बिंदु पर मस्जिद पक्ष ने लिखा है कि, “मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब कतई निर्दयी नहीं था” और उसके फरमान से 1669 में “न तो लॉर्ड आदि विश्वेश्वर मंदिर वाराणसी में तोड़ा गया और ना ही काशी में कभी दो काशी विश्वनाथ मंदिर (पुरानी और नई) की कोई धारणा थी और और ना तो आज है.”
इस जवाब में मस्जिद समिति ने यह भी लिखा है कि एएसआई सर्वे पर कुछ दिन पहले 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और मामला अभी वहां लंबित है.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिना ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए उसके वैज्ञानिक जांच की आदेश दिए थे जिसे मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
पिछले साल हुए एक सर्वे में मस्जिद के वज़ुख़ाने में पाए गए ढांचे को हिन्दू पक्ष शिवलिंग बताता है और मुस्लिम पक्ष का दावा है कि कथित शिवलिंग फव्वारा है.
Compiled: up18 News