ज्ञानवापी परिसर में सर्वे: IIT कानपुर की GPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगी एएसआई

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आर्कियोलॉजिकल खोज अभियानों में शामिल रह चुके आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार ऐसी तकनीक है जिससे किसी भी वस्तु या ढांचे को बगैर छेड़े हुए उसके नीचे कंक्रीट धातु, पाइप, केबल या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकती है. इस तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से ऐसे सिग्नल सिग्नल मिलते हैं जो यह बताने में कारगर साबित होते हैं कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या ढांचा है.

प्रोफेसर जावेद का कहना है कि टीम ज्ञानवापी परिसर में जाएगी और जो उपकरण उनके पास मौजूद है उसे आसानी से 8 से 10 मीटर तक वस्तु का पता लगाया जा सकता है, 2D और 3D प्रोफाइल्स करी जाएंगी. यह टेक्नोलॉजी हमें अंदर मौजूद वस्तु का आकार पता लगाने में मदद करेगी जिसके हिसाब से इंटरप्रिटेशन की जाएगी और इस सर्वे के लिए हमेशा से 8 दिन का समय चाहिए होगा और इस सर्वे के लिए हमेशा से 8 दिन का समय चाहिए होगा.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी ने कहा था कि हमने खुदाई के विभिन्न उपकरणों के फोटोग्राफ संलग्न किए हैं जिन्हें एएसआई की टीम मस्जिद परिसर लेकर पहुंची थी. वहीं इस पर एएसआई के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि टीम पहली बार मस्जिद के स्थान पर गई थी, इसलिए वे अपने साथ कुछ उपकरण लेकर गए, लेकिन खुदाई के लिए नहीं, बल्कि स्थल से मलबा हटाने के लिए.

– एजेंसी