ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता फॉक्सकॉन की वेदांता के साथ सेमीकंडक्टर की डील खत्म हो गई है। इस प्रस्तावित सेमीकंडक्टर विनिर्माण ज्वाइंट वेंचर से अलग होने का ऐलान फॉक्सकॉन ने किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि दोनों कंपनियों को अपने प्रौद्योगिक साझेदार मिल गए हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इन दोनों कंपनियों के पास चिप बनाने का कोई अनुभव नहीं है। उसने यह अपेक्षा की गई थी कि वे इसे एक टेक्नोलॉजी पार्टनर से हासिल करेंगे, लेकिन अब ताइवान की फॉक्सकॉन ने वेदांता के साथ 19.5 अरब डॉलर का महत्वपूर्ण ज्वाइंट वेंचर छोड़ दिया है।
हालांकि इसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इससे भारत के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर फॉक्सकॉन ने एक बयान में कहा है कि इस ज्वाइंट वेंचर को खत्म करने का निर्णय म्यूचुअल था।
क्या होगा सेमीकंडक्टर कार्यक्रम का
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, पीएम मोदी की मेक इन इंडिया नीति और भारत के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम के लिए फॉक्सकॉन और वेदांता दोनों प्रतिबद्ध हैं। दोनों के ज्वाइंट वेंचर से हटने से देश के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि वेदांता औश्र फॉक्सकॉन ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले प्रोडक्टश प्लांट लगाने के लिए सितंबर 2022 में समझौते पर साइन किए थे। दोनों को गुजरात में यह संयंत्र लगाना था।
भारत की स्थिति
सेमीकंडक्टर के मामले में देश की हालत अभी क्रूड ऑयल जैसी है। साल 2025 तक इस मार्केट के 24 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अगर देश में प्रोडक्शन नहीं किया गया तो आयात बिल में इतनी राशि की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। अगर ताइवान की कंपनी और वेदांता का यह प्रोजेक्ट भारत में शुरू हो जाता तो इसकी तकनीक भारत में आ जाती। इसका सीधा झटका चीन को लगता। अब देखने वाली बात यह है कि चिप्स बनाने को लेकर अमेरिकी कंपनियों के साथ जो करार हुआ है, वह किस तरह से मूर्त रूप लेता है। हालांकि सरकार की कोशिश है कि इस सेमीकंडक्टर कार्यक्रम को हर हाल में आगे बढ़ाया जाए।
Compiled: up18 News
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