अनुच्छेद 51 के तहत अधिकार का जिक्र
गुटेरेस को लिखे पत्र में ईरान ने कहा, “सैन्य कार्रवाई बार-बार होने वाले इजरायली सैन्य आक्रमकता, खास तौर पर 1 अप्रैल 2024 को ईरानी राजनयिक परिसरों पर सशस्त्र हमले के जवाब में थी, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 से मिले आत्मरक्षा के अधिकार के आधार पर की गई।”
इसमें आगे कहा गया, “संयुक्त राष्ट्र के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में इस्लामी गणतंत्र ईरान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है और अपनी निरंतर स्थिति को दोहराता है कि वह क्षेत्र में आक्रामकता या संघर्ष में वृद्धि नहीं चाहता है।”
पत्र में कहा गया, अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत आवश्यकता पड़ने पर ईरान आत्मरक्षा के अपने अंतर्निहित अधिकार का प्रयोग करने में संकोच नहीं करेगा।
ईरान ने अपने पत्र में “सुरक्षा परिषद की चुप्पी और 13 दिनों तक इजरायली आक्रामकता की निंदा न करने” को संयुक्त राष्ट्र की विफलता बताया और अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के इस कदम ने उसे ये कहने का मौका दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता है और इससे पश्चिमी देशों को उसके खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर दबाव बनेगा।
क्या कहता है संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 51?
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर अनुच्छेद 51 के बारे में बताया गया है। यह कहता है, “यदि संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य के खिलाफ सशस्त्र हमला होता है, तो वर्तमान चार्टर में अंतर्निहित व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार को नष्ट नहीं करेगा, जब तक कि सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय नहीं करती।
आत्मरक्षा के इस अधिकार के प्रयोग में सदस्यों द्वारा किए गए उपायों की सूचना तुरंत सुरक्षा परिषद को दी जाएगी और किसी भी तरह से वर्तमान चार्टर के तहत सुरक्षा परिषद के अधिकार और जिम्मेदारी को प्रभावित नहीं किया जाएगा।”
-एजेंसी
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