देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत के सम्मान में अरुणाचल प्रदेश के एक सैन्य कैंप का नाम अब बदल दिया गया है। Kibithu army camp का नाम बदलकर ‘जनरल बिपिन रावत सैन्य गैरीसन’ कर दिया गया है। जनरल रावत ने कर्नल के रूप में किबिथू में एक कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्य किया है। इसके लिए एक समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें कई बड़े अधिकारी और बिपिन रावत का परिवार भी शामिल हुआ।
जनरल बिपिन रावत सैन्य गैरीसन
दरअसल, चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ किबिथु सैन्य शिविर और वालोंग से किबिथू तक 22 किमी लंबी सड़क का नाम शनिवार को भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा गया। इसका नया नाम ‘जनरल बिपिन रावत सैन्य गैरीसन’ रखा गया है। इसके लिए एक समारोह आयोजित किया गया था जिसमें अरुणाचल प्रदेश के राज्यपालब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बी डी मिश्रा, मुख्यमंत्री पेमा खांडू, पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता और जनरल रावत की बेटियां कृतिका और तारिणी भी शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
किबिथू में जनरल बिपिन रावत का योगदान
किबिथू भारत के पूर्वी हिस्से में लोहित घाटी के तट पर बसा एक छोटा सा गांव है। अरुणाचल प्रदेश के किबिथु को सैन्य दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। सेना ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास को लागू करने और क्षेत्र में सामाजिक प्रगति सुनिश्चित करने में जनरल रावत की दूरदर्शिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि जनरल बिपिन रावत ने एक युवा कर्नल के रूप में 1999-2000 तक किबिथू में बटालियन 5/11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली थी और क्षेत्र की सुरक्षा संरचना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
बता दें कि जनरल रावत की पिछले साल 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास उनकी पत्नी मधुलिका और 12 सशस्त्र बलों के जवानों के साथ एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी।
-एजेंसी