ये तनाव बीते साल सितंबर में चरम पर पहुंचा था जब अजरबैजान ने आर्मेनिया समर्थित नागोर्नो-काराबाख के अलग हुए क्षेत्र को वापस लेने के लिए हमले किए। इससे 1,00,000 आर्मेनियाई लोगों के सामने पलायन की स्थिति खड़ी हो गई। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर ने इस क्षेत्र में एक शांति सेना तैनात की थी लेकिन इस हमले से पहले सेना यहां से हट गई थी। तब कहा गया था कि यूक्रेन में युद्ध में उलझा होने की वजह से रूस अपने सहयोगियों की रक्षा करने में कम इच्छुक है। इसने भी उसके आर्मेनिया के साथ चीजों को खराब करने नें भूमिका निभाई है।
फ्रांस- भारत से मिलेंगे आर्मेनिया को हथियार
फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने शुक्रवार को आर्मेनिया का दौरा किया है और नए हथियार सौदों के पैकेज की घोषणा की है। इस सौदे में रडार उपकरण और नाइट विजन चश्मे भी शामिल हैं। फ्रांसीसी मंत्री के दौरे के ठीक बाद अर्मेनिया के प्रधानमंत्री की ये हालिया टिप्पणी सामने आई है। हालांकि यूरोपीय संघ के सीमा मिशन की मेजबानी करने के बावजूद आर्मेनिया के में हजारों रूसी सैनिक तैनात हैं। आर्मेनिया की सीमाओं को मास्को के सुरक्षा बलों ही नियंत्रित करते हैं। पीएम पशिनियन ने कुछ समय पहले संकेत दिया था कि रूस के साथ इन व्यवस्थाओं को भी खत्म किया जा सकता है।
अजरबैजान के साथ युद्ध के खतरे के बीच अर्मेनिया ने दावा किया है कि तुर्की और पाकिस्तान से अजरबैजान की सेना को हथियार मिल रहे हैं। इन दोनों देशों के हथियारों की मदद से अजरबैजान युद्ध की योजना बना रहा है। आर्मेनिया युद्ध में अजरबैजान का मुकाबला करने के लिए भारत और फ्रांस से हथियारों की खरीद पर काम कर रहा है। आर्मेनिया को युद्ध में फ्रांस और भारत के हथियारों को सहारा है। आर्मीनिया ने भारत से पिनाका रॉकेट सिस्टम और आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदा है।
-एजेंसी
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