आगरा। 2017 में मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन कराने के बाद मजनुओं पर कहर बरपाना शुरू कर दिया था। इस मामले में सीएम योगी के सख्त तेवरों से उन्हें खासी ख्याति मिली थी। अब यही एंटी रोमियो स्क्वायड लगभग दम तोड़ चुके हैं। आगरा के बीडी जैन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्राओं से छेड़छाड़ और मारपीट एंटी रोमियो स्क्वायड की निष्क्रियता का ही नतीजा है।
तब सीएम योगी ने होश ठिकाने लगवा दिए थे
वर्ष 2017 में हुए यूपी के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने लड़कियों से छेड़छाड़ को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में भी एंटी रोमियो स्क्वायड बनाने की घोषणा की थी। उस समय वाकई लड़कियों का सड़कों पर चलना दूभर हो गया था। सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वायड गठित करने में देरी नहीं की थी। इसके बाद ताबड़तोड़ कार्रवाइयां हुईं तो मंजनुओं के होश ठिकाने आ गए थे। सड़क चलती लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाएं बहुत कुछ रुक गई थीं।
मजनुओं की हरकतें एक बार फिर से सामने आने लगी हैं। दो दिन पहले बीडी जैन गर्ल्स कॊलेज की छात्राओं के एक समूह को कॉलेज से निकलते ही बाइक सवार दो मजनुओं ने न केवल छेड़ा अपितु विरोध करने पर मारपीट तक कर दी। शोरगुल सुनकर बचाने आए कॉलेज के गार्ड को भी पीटकर ये दोनों लड़के फरार हो गए थे। पहले इस तरह की घटनाओं के सामने आने पर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक चौकन्ने हो जाते थे, लेकिन कल की इस घटना के बाद थाना पुलिस के कानों तक पर जूं नहीं रेंगी। 112 पर कॉल करने पर कोई नहीं पहुंचा।
बीडी जैन की घटना को हल्के में लिया
दूसरे दिन सदर थाने से एक पुरुष दरोगा गर्ल्स के कॉलेज में पहुंचा और शिक्षिकाओं से कहा कि जिन लड़कियों से छेड़छाड़ हुई है, उन्हें थाने भेज दो ताकि शिकायत दर्ज हो सके। इस पर कॉलेज की शिक्षिकाएं भड़क उठीं। पहली बात तो यह कि लड़कियों के कॉलेज में महिला पुलिस आनी चाहिए थी, लेकिन वहां पहुंचा पुरुष दरोगा। दूसरी बात यह कि कॉलेज की शिक्षिकाएं पीड़ित छात्राओं को उनके परिजनों की अनुमति के बगैर थाने कैसे भेज सकती थीं।
गर्ल्स कॉलेजो के आसपास अब नहीं दिखती पुलिस
यह तो बीड़ी जैन गर्ल्स कॉलेज के सामने घटी घटना थी, जो सामने आ गई। शहर भर में स्थित गर्ल्स कॉलेजों से जुड़ने वाले रास्तों पर मजनुओं को कॉलेज की छुट्टी के समय मंडराते देखा जा सकता है। इनकी वही पुरानी स्टाइल। बाइक पर सवार होकर आते हैं। लड़कियों को देखकर फब्तियां कसते हैं और भाग जाते हैं। यह सब इसलिए हो पा रहा है क्योंकि अब कॉलेजों के आसपास पुलिस नहीं दिखती। इन मजनुओं के कारण ही लड़कियां समूह में निकलती हैं। उन्हें भय बना रहता है कि कोई मजनूं सड़क पर ही छेड़छाड़ न कर दे।
उन दिनों अच्छे से इलाज होता था इनका
2017 में जब एंटी रोमियो स्क्वायड बनाए गए थे, तब वे न केवल लड़कियों के कॉलेजों के आसपास बल्कि उन तमाम जगहों पर भी छापेमारी करते थे जहां लड़कियों की मौजूदगी पर लड़के मंडराते थे। सादा वर्दी में महिला पुलिसकर्मी भी लगाई जाती थीं, जिन्हें आम लड़की समझकर अगर कोई मजनूं हरकत करता था तो उसे दबोच लिया जाता था। उन दिनों हर रोज बड़ी संख्या में मजनूं पकड़े जाते थे और थाने लाकर उनका अच्छे से इलाज भी होता था। अब ऐसा लगता है कि एंटी रोमियो स्क्वायड कागजों तक सीमित रह गए हैं। इनकी सक्रियता कहीं पर नहीं दिखती।
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