लगातार हो रही बारिश से जीव जंतुओ पर भी खतरा, वाइल्डलाइफ एसओएस ने आगरा और मथुरा में बचाये 100 से अधिक सरीसृप

विविध

आगरा: लगातार हो रही बारिश ने लोगों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ रहा है तो वही जीव जंतु भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। ग्रामीण और जंगल क्षेत्र में स्नैक को इस बारिश से खतरा बड़ गया तो वाइल्डलाइफ एसओएस की रैपिड रिस्पांस यूनिट ने आगरा और मथुरा में हुई मूसलाधार बारिश के बीच 100 से अधिक सरीसृपों को सफलतापूर्वक बचाया है। पानी भर जाने के कारण इन सरीसृपों का विस्थापन हुआ, क्योंकि उनके प्राकृतिक बिल और आवास जलमग्न हो गए जिससे उन्हें शहरी क्षेत्रों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

मूसलाधार बारिश और क्षेत्र में पानी भर जाने के कारण न केवल इंसान बल्कि वन्यजीव भी प्रभावित हुए हैं। सरीसृप, जो अक्सर बिलों और प्राकृतिक आश्रयों पर निर्भर रहते हैं, उनके घर जलमग्न हो गए हैं, जिससे बचने के लिए उन्हे पास के शहरी क्षेत्रों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है। इस प्रवासन से मानव-सरीसृप संघर्ष की संभावना बढ़ी है, जिससे इसमें तत्काल हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हो गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने स्थिति पर टिप्पणी की, “भारी बारिश ने लोगों और वन्यजीवों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। हमारी टीम इन विस्थापित सरीसृपों के सुरक्षित बचाव और पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इन प्राणियों का नुकसान रोकने और अपने समुदायों के भीतर सुरक्षा बनाए रखने के लिए तत्काल सहायता प्रदान करें।

वाइल्डलाइफ एसओएस में डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने सार्वजनिक जागरूकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “हाल की स्थिति से पता चला है कि इंसानों की किस्मत वन्यजीवों के साथ कितनी जुड़ी हुई हो सकती है। चूँकि ये सरीसृप बाढ़ से बचने के लिए शरण की तलाश करते हैं, इसलिए वे अप्रत्याशित स्थानों पर पहुँच सकते हैं। हम जनता से सतर्क रहने और शहरी क्षेत्र में सरीसृप का सामना होने पर हमारी हेल्पलाइन से संपर्क करने का आग्रह करते हैं। हमारी टीम इन स्थितियों को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से संभालने के लिए प्रशिक्षित है।

वाइल्डलाइफ एसओएस निवासियों से आग्रह करता है कि यदि वे अपने घरों के आसपास या शहरी वातावरण में सरीसृप देखते हैं तो तुरंत हमारी हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर संपर्क करें। संस्था की प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम मानवीय तरीके से उन्हें रेस्क्यू करने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और संभावित संघर्षों को रोकने के लिए सुसज्जित हैं।