आम लोगों के सामने जो बड़ी चुनौतियां हैं, उनमें इंसाफ़ में होने वाली देरी भी एक समस्या: पीएम मोदी

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देश भर के क़ानून मंत्रियों और विधि सचिवों के दो दिनों के अखिल भारतीय सम्मेलन को एक वीडियो संदेश के जरिए उन्होंने आज संबोधित किया.

इस संदेश में पीएम ने कहा कि क़ानून इतने स्पष्ट तरीके से और स्थानीय भाषाओं में लिखा जाना चाहिए ताकि गरीब से गरीब आदमी भी इसे समझ सके.

उन्होंने कहा, “आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक भी पहुंचाएगी. भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है. तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है.”

“हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है. हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है. देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए.”

“देश ने डेढ़ हज़ार से ज़्यादा पुराने और अप्रासंगिक क़ानूनों को रद्द कर दिया है. इनमें से अनेक क़ानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे. देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं.”

“कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है. लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है. टेक्नोलॉजी किस तरह से आज न्याय व्यवस्था का भी अभिन्न अंग बन गई है, इसे हमने कोरोना काल में भी देखा है. आज देश में ई-कोर्ट्स मिशन तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.”

-एजेंसी


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