अमेरिकी कंपनी ब्लैकरॉक इंक फिर लौट रही है भारत, रिलायंस से मिलाया हाथ

Business

कौन हैं लैरी फिंक

दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी ऐपल में ब्लैकरॉक की 6.5 परसेंट हिस्सेदारी है। इसी तरह वेरिजॉन और फोर्ड में इसकी 7.25%, फेसबुक में 6.5%, वेल्स फर्गो में सात परसेंट, जेपीमोर्गन में 6.5% और डॉयचे बैंक में 4.8% हिस्सेदारी है। गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक में ब्लैकरॉक की 4.48% हिस्सेदारी है। भारत की भी कई बड़ी कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी है। इससे आप अंदाजा लगा सकता है कि ब्लैकरॉक कितनी पावरफुल कंपनी है।

इसकी स्थापना लैरी फिंक (Larry Fink) ने 1988 में की थी। फिंक कंपनी के सीईओ और चेयरमैन हैं। फिंक ने पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की थी लेकिन पैसा कमाने का ऐसा चस्का लगा कि शेयर मार्केट में घुस गए। उन्होंने 23 साल की उम्र में बोस्टन डायनामिक्स से करियर की शुरुआत की।

डेट सिंडिकेशन की शुरुआत करने का श्रेय फिंक को दिया जाता है। 31 साल की उम्र में वह बैंक के एमडी बन गए। एक साल में उन्होंने बैंक को एक अरब डॉलर कमाकर दिए। फिंक ने और जोखिम लेना शुरू किया लेकिन एक तिमाही में बैंक को 10 करोड़ डॉलर का घाटा हो गया। इससे बैंक ने उनकी छुट्टी कर दी। साल 1988 में 35 साल की उम्र में फिंक ने खुद की कंपनी खोलने का फैसला किया। तब जाने माने इन्वेस्टर स्टीव स्वार्जमैन ने उनका हाथ थामा। स्टीव की कंपनी ब्लैकस्टोन ने फिंक के साथ पार्टनरशिप की और 50 लाख डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया। फिंक को सबसे पहले जीई ने कुछ एसेट संभालने को दी। फिंक ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। फिर तो उनकी गाड़ी चल निकली। पांच साल में कंपनी का एसेट अंडर मैनेजमेंट 20 अरब डॉलर जा पहुंचा।

चीन भी नहीं रोक पाया

लेकिन फिंक और स्टीव में धीरे-धीरे मतभेद हो गए। फिंक ने इसके बाद अपनी अलग कंपनी ब्लैकरॉक बना ली। इसके बाद तो फिंक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज ब्लैकरॉक दुनियाभर में कंपनियों और सरकारों के एसेट को मैनेज करती है। इनमें पेंशन फंड भी शामिल है। दुनिया में फंड मैनेज करने वाली तीन बड़ी कंपनियां हैं। इनमें ब्लैकरॉक के अलावा Vanguard और State Street शामिल हैं। ये तीनों कंपनियां मिलकर अमेरिका की जीडीपी के 70 परसेंट के बराबर एसेट को मैनेज कर रही हैं। ब्लैकरॉक को दुनिया के सबसे प्रभावशाली फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का अवॉर्ड मिल चुका है।

इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन की सरकार भी इसे अपने यहां आने से नहीं रोक पाई थी। साल 2008 में जब फाइनेंशियल क्राइसिस के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियां डूबने के कगार पर थी तो अमेरिका की सरकार ने ब्लैकरॉक का सहारा लिया था। हालांकि कहा जाता है कि इस क्राइसिस की जड़ में ब्लैकरॉक ही थी। फिंक ने ही अमेरिका को इस संकट से उबारा था। इसके बाद जब 2020 में कोरोना महामारी के कारण जब बॉन्ड मार्केट बुरी तरह हिल गया था तो एक बार फिर ब्लैकरॉक ने स्थिति संभाली थी।

Compiled: up18 News


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.