अमेरिका ने अपने तीन सैनिकों की मौत के बाद ईरान समर्थक मिलिशिया के खिलाफ खूनी हमले जारी रखे हुए है। ताजा हमले में अमेरिका ने इराक की राजधानी बगदाद के अंदर ड्रोन हमला करके कार से जा रहे ईरान समर्थक खतैब हिज्बुल्ला के शीर्ष कमांडर को ढेर कर दिया है।
बताया जा रहा है कि हिज्बुल्ला कमांडर पर इस हमले के लिए अमेरिका ने अपनी सीक्रेट AGM-114R9X हेलफायर मिसाइल का इस्तेमाल किया। इसी मिसाइल से अमेरिका ने अलकायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया था। सोशल मीडिया में आई तस्वीरों में पता चलता है कि यह मिसाइल ब्लेड से लैस होती है जो देखने में तलवार की तरह से दिखती है। बताया जा रहा है कि बुधवार रात को अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड फोर्स ने इराक के अंदर इस एकतरफा कार्रवाई को अंजाम दिया।
अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी करके कहा कि खतैब हिज्बुल्ला का कमांडर सीधे तौर पर अमेरिकी बलों पर हमले की योजना बनाने और करने के लिए जिम्मेदार था। अमेरिका ने कहा कि इस हमले में कोई भी आम नागरिक नहीं मारा गया है। अमेरिका अपने नागरिकों की रक्षा के लिए आगे भी जरूरी कदम उठाता रहेगा। हम अमेरिकी सेना को धमकी देने वाले लोगों को जिम्मेदार ठहराने से नहीं हिचकेंगे। अमेरिकी सेना ने यह नहीं बताया कि किस तरह से इस हमले को अंजाम दिया गया और किस मिसाइल का इस्तेमाल हुआ।
अमेरिका ने सीक्रेट मिसाइल के बारे में नहीं बताया
द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने R9X मिसाइल का इस्तेमाल किया है। इसमें ब्लेड लगे होते हैं। यह मिसाइल ठीक इसी तरह के हमलों के लिए डिजाइन की गई है। इसमें लगा ब्लेड कार या अन्य वाहन में बैठे लक्ष्य को मार गिराता है। इससे आसपास बहुत कम नुकसान होता है। इस मिसाइल को बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था। इस मिसाइल के बारे में अभी भी अमेरिका चुप्पी मारे रहता है।
अमेरिकी सेना कई अन्य तरह की हेलफायर मिसाइलों के बारे में खुलेआम स्वीकार करती रही है। इन मिसाइलों को केलव ड्रोन से ही फायर किया जाता है। इसे अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन बल या फिर सीआईए अंजाम देती है।
इस मिसाइल की मदद से अमेरिका अब तक अलकायदा समेत कई आतंकियों का खात्मा कर चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में सीआईए ने इसी मिसाइल के जरिए अलकायदा के शीर्ष कमांडर अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया था।
बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि यह जनवरी के अंत में जॉर्डन में अमेरिकी बलों पर हुए घातक हमले में शामिल था। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला 28 जनवरी को जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ड्रोन हमले के बाद चल रही अमेरिकी जवाबी कार्रवाई का हिस्सा था, इसमें तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए थे और 40 से अधिक अन्य घायल हो गए थे।
-एजेंसी