नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा के लिए जहां इस साल 5 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है वहीं उनकी सुरक्षा को और भी पुख्ता करने के लिए RIFD टैग वाले कार्ड जारी किए जाएंगे. इसकी मदद से यात्रियों को ट्रैक किया जाएगा और इमरजेंसी की स्थिति में उन्हें ढूंढने में मदद मिलेगी.
अमरनाथ यात्रा करने वाले हर श्रद्धालुओं को टैग वाला RFID Card अपने पास हमेशा रखना होगा. टैग से जनरेट होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से श्रद्धालुओं को इमरजेंसी की स्थिति में ढूंढा जा सकेगा. जानिए, यह कैसे काम करेगा.
RFID तकनीक से लैस कार्ड कैसे काम करेगा
RIFD को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कहते हैं. यह एक वायरलेस ट्रैकिंग सिस्टम है जो एक खास तरह के टैग और उसे पढ़ने वाले रीडर से मिलकर बना होता है. दरअसल, टैग एक तरह की डिवाइस होती है जिसे जरूरत के हिसाब से अलग-अलग आकार में तैयार किया जा सकता है. इसे कार्ड, खंभों या बिल्डिंग में लगाया जा सकता है. कार्ड में लगे टैग में कई तरह की जानकारी होती हैं. जैसे- उस डिवाइस का सीरियल नम्बर क्या है, लोकेशन की जानकारी और डिस्क्रिप्शन.
कितनी तरह का होता है RIFD टैग?
RIFD टैग दो तरह के होते हैं, एक्टिव और पैसिव. एक्टिव टैग में पावर का सोर्स बैटरी होती हैं जो इसमें लगी होती है. यह जिसके पास होता है, हर सेकंड उसकी जानकारी उपलब्ध मिलती है. वहीं, पैसिव टैग तब सक्रिय होता है जब उसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी मिलती है. यही वजह है कि पैसिव के मुकाबले एक्टिव टैग को ज्यादातर बेहतर माना जाता है. एक्टिव टैग 300 फीट की रेंज तक इसे रखने वाले इंसान या किसी चीज को ट्रैक कर सकता है.
अमरनाथ यात्रा करने वाले हर श्रद्धालुओं को टैग वाला कार्ड अपने पास हमेशा रखना होगा. टैग से जनरेट होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से श्रद्धालुओं को इमरजेंसी की स्थिति में ढूंढा जा सकेगा.
RIFD टैग के दो हिस्से होते हैं
पहला सर्किट और दूसर एंटीना. इन दोनों की मदद से श्रद्धालुओं की लोकेशन की जानकारी पता लगाई जा सकती है और यह जानकारी आईटी टीम तक पहुंचती है. यह टैग रेडियोफ्रीक्वेंसी तरंगों के जरिए संदेश भेजता है. इन संदेशों को कम्प्यूटर ट्रांसलेट करने का काम करता है. संदेश को समझकर इसकी जानकारी से पता लगाया जा सकता है कि यात्री या श्रद्धालु कहां पर है. यही वजह है कि इसे हमेशा अपने पास रखने की सलाह दी जाती है. इस तरह यह वायरलेस तकनीक काम करती है.
इस कार्ड को रखने वाले श्रद्धालु कभी बुरे हालात में पहुंचते हैं तो उनकी जानकारी आईटी टीम तक लगा सकेगी. मान लीजिए उस हिस्से में बाढ़ आती है या प्राकृतिक आपदा आती है तो उन्हें ढूंढना आसान हो सकेगा. इस कार्ड के जरिए श्रद्धालुओंं की सुरक्षा और पुख्ता होगी.
-एजेंसी