भारत के साथ मलेशिया और ताइवान ने भी चीन के नए नक्शे को किया खारिज

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मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने चीन के एकतरफ़ा दावे को ख़ारिज कर दिया और कहा कि वह इसे मानने के लिए बाध्य नहीं है.

मलेशियाई विदेश मंत्रालय ने कहा कि टकरावों का समाधान शांतिपूर्वक और तार्किक संवाद के ज़रिए होना चाहिए.  चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. दक्षिण चीन सागर से सालाना ट्रिलियन्स डॉलर के अंतरराष्ट्रीय कारोबार होते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने भी फ़ैसला दिया है कि दक्षिण चीन सागर पर चीन का दावा वैध नहीं है. साउथ चाइना सी पर चीनी दावे को फिलीपीन्स, वियतनाम और ब्रूनेई भी ख़ारिज करते हैं. दूसरी तरफ़ अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसेना के पोत लगा रखे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय समुद्री रास्ते में आवाजाही की स्वतंत्रता बनी रहे.

मलेशिया क्या बोला

चीन ने इसी हफ़्ते एक स्टैंडर्ड नक़्शा जारी किया था और इसी में पूरे साउथ चाइना सी को अपना हिस्सा बताया है.
मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के नए नक़्शे में उसका समुद्री इलाक़ा भी शामिल है.

मलेशिया ने कहा, ”साउथ चाइना सी का मुद्दा काफ़ी जटिल और संवेदनशील है. इसका समाधान विवेकपूर्ण संवाद के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर होना चाहिए.” मलेशिया ने समंदर के लिए कोड ऑफ कंडक्ट बनाने का समर्थन किया है.

2021 में मलेशिया ने अपने एक्सक्लूसिव इकनॉमिक ज़ोन में चीनी पोत घुसने पर उसके राजदूत को समन भेजा था.
हाल के वर्षों में चीन ने साउथ चाइना सी में कई कृत्रिम द्वीप बनाए हैं. इसके अलावा सैन्य सुविधाएं और रनवे भी बनाए हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि चीन साउथ चाइना सी में किसी भी टकराव से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है.
दक्षिण-पूर्वी एशिया के कई देश आरोप लगाते रहे हैं कि चीनी पोत उसके फिशिंग बोट्स को परेशान करते हैं.

ताइवान ने भी चीन का किया विरोध

चीन के नए नक़्शे में किए दावे का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने भी विरोध किया है. जोसेफ वू ने कहा कि ”ताइवान को डराने, धमकाने के लिए चीन अपनी सैन्य ताक़त बढ़ा रहा है.”

जोसेफ वू बोले, ”चीन का विस्तारवाद ताइवान तक नहीं रुकता. पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में चीन ‘ग्रे ज़ोन एक्टिविटी’ के ज़रिए अपनी शक्ति का विस्तार और अपने आक्रामक क्षेत्रीय दावों को भी साबित करना चाहता है. चीन बंदरगाहों को सुरक्षित कर रहा है ताकि भविष्य में हिंद महासागर में सेना का इस्तेमाल किया जा सके.”

ग्रे ज़ोन एक्टिविटी ऐसी गतिविधियां मानी जाती हैं, जिसे एक तरह का छोटा युद्ध कह सकते हैं या फिर ऐसी हरकतें जिससे युद्ध शुरू हो सकता है.

चीन ताइवान को अपने से अलग हुआ एक प्रांत मानता है और उसे लगता है कि वो एक न एक दिन चीन के नियंत्रण में आ जाएगा.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान का “एकीकरण” पूरा होकर रहेगा. चीन अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ताक़त के इस्तेमाल की बात भी करता रहा है.

मगर ताइवान ख़ुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, जिसका अपना संविधान और अपने चुने हुए नेताओं की सरकार है. हाल ही में ब्रिटिश संसद की विदेश मामलों की एक कमिटी ने ताइवान को आज़ाद मुल्क कहा था. इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय से भी बुधवार को सवाल किया गया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को पूछे इस सवाल के जवाब में कहा- ”ताइवान चीन का अभिन्न अंग है. ब्रिटिश संसद की संबंधित रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है और गुमराह करने वाली है. वन चाइना पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. हम ब्रिटिश संसद की कमेटी से ये कहेंगे कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करें.”

भारत ने उसी दिन दर्ज कराया था विरोध

भारतीय विदेश मंत्रालय ने नक़्शा जारी होने के दिन ही चीन से इसका विरोध दर्ज कराया था. विदेश मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ”आज हमने राजयनिक स्तर पर चीन के कथित ‘स्टैंडर्ड नक्शे’ को लेकर उनसे कड़ा विरोध जताया है.”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सोशल मीडिया पर साझा किए बयान में लिखा, ”ऐसे किसी दावे का कोई आधार नहीं है. चीन के ऐसे क़दमों से सीमा मुद्दों का समाधान और जटिल हो जाता है.” चीन के इस नक़्शे के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी सवाल पूछा गया था.

एनडीटीवी के एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने इसका जवाब देते हुए कहा, ”चीन की ये पुरानी आदत है. वो दूसरे देशों के इलाक़ों पर अपना दावा करते रहे हैं, वे साल 1950 के आसपास से ही इसके दावे कर रहे हैं. हमारी सरकार अपने देश की रक्षा को लेकर स्थिति साफ़ कर चुकी है. किसी भी तरह के बेतुके दावे से दूसरों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाएंगे.”

Compiled: up18 News


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