महिला पर भी दायर हो सकता है गैंगरेप का केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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जस्टिस शेखर यादव ने एक महिला सुनीता पांडेय की 482 सीआरपीसी के तहत दायर याचिका को भी खारिज कर दिया। उसे सिद्धार्थनगर के एडिशनल सेशन जज फर्स्ट की अदालत ने समन किया था। महिला को 15 साल की लड़की के साथ हुए रेप के मामले में पेश होने के लिए कहा गया था। एडिशनल सेशन जज का कहना था कि महिला पर 376-D, 212 IPC के तहत कार्रवाई बनती है।

ये मामला 2015 में दर्ज किया गया था। लड़की के पिता ने पुलिस में केस दर्ज कराया था कि उसकी लड़की को कुछ लोगों ने अगवा किया। पुलिस ने 363 और 366 आईपीसी के तहत केस दर्ज किया था। लड़की के परिजनों का आरोप था कि उसे कुछ लोगों ने जबरन अगवा किया। 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराए गए बयान में पीड़िता का कहना था कि उसके साथ हुए रेप के मामले में सुनीता पांडेय भी शामिल है। पीड़िता के बयान के आधार पर कोर्ट ने सुनीता पांडेय को पेश होने के लिए समन भेजा था।

एडिशनल सेशन जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनीता पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। उसका कहना था कि एक महिला को रेप के मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता। निचली अदालत का फैसला सरासर गलत है। हाईकोर्ट ने सेक्शन 375 और 376E आईपीसी एक्ट 13 (2013) का जिक्र कर कहा कि महिला को भी रेप के मामले में कुछ परिस्थितियों में आरोपी बनाया जा सकता है। हाईकोर्ट का कहना था कि महिला ने रेप के मामले में अगर दूसरे लोगों की मदद की है तो उसे गैंगरेप का आरोपी बनाया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 375 की व्याख्या करते हुए कहा कि इसके तहत महिला को रेप के मामले में आरोपी नहीं माना जा सकता लेकिन 376 D के तहत उसे आरोपी बनाया जा सकता है। जस्टिस शेखर यादव ने आईपीसी के सेक्शन 11 के साथ आक्सफोर्ड डिक्शनरी का हवाला देते हुए कहा कि इसमें PERSON को दो तरह से बताया गया है। एक में इसका मतलब आदमी, औरत और बच्चे से होता है जबकि दूसरे में लिविंग बॉडी और ह्यूमन बींग से होता है। ऐसे में महिला को रेप के मामले में आरोपी बनाया जा सकता है।

Compiled: up18 News


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