नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में भारत-म्यांमार सीमा के क़रीब म्यांमार सेना और सैन्य शासन का विरोध कर रहे बलों के बीच तेज़ हुई झड़पों के बीच क़रीब पाँच हज़ार विस्थापित लोग म्यांमार से मिज़ोरम पहुँचे हैं.
म्यांमार सेना के 45 जवानों ने भी बुधवार तक मिज़ोरम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. इन्हें भारतीय सेना को सौंप दिया गया और बाद में म्यांमार वापस भेज दिया गया.
आईजीपी खिआंगते ने कहा, “बॉर्डर के क़रीब दूसरी तरफ़ स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है, लेकिन अभी तक भारत की तरफ़ कोई हिंसक गतिविधि नहीं हुई है. म्यांमार-भारत सीमा के बेहद क़रीब जो झड़पें हो रही हैं, उसका असर बॉर्डर की स्थिति पर हुआ है. विद्रोहियों ने कई जगह हमले किए हैं और सेना की चौकियों पर क़ब्ज़ा किया है जिसके बाद म्यांमार के सैनिकों को जंगल में छिपना पड़ा है.
म्यांमार में जुंटा आर्मी और मिलिशिया पीडीएफ के बीच चल रहे तनाव ने बड़ा रूप अख्तियार कर लिया है.
म्यामार के लोग जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस बीच नागरिक भारत का रुख कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, करीब 5000 म्यांमार नागरिक भागकर मिजोरम के चम्फाई जिले के जोखावथर क्षेत्र में शरण लिए हुए हैं, जिसकी सीमा म्यांमार से लगती है.
हवाई हमलों के दौरान ये लोग भारत-म्यांमार सीमा से लगे सीमावर्ती इलाकों से घुसकर चम्फाई जिले में प्रवेश कर गए थे. इस दौरान जिला प्रशासन, गैर सरकारी संगठनों, यंग मिजो एसोसिएशन और ग्राम परिषद म्यांमार के नागरिकों की हर तरह से मदद कर रहा है. इनके लिए खाने पीने से लेकर कपड़ों और दवाओं की व्यवस्था की गई है, साथ ही रहने के लिए टैंट भी लगाए गए हैं. यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए), जोखावथर के नेताओं के मुताबिक, म्यांमार के नागरिकों के लिए करीब 4 से 5 राहत और शरणार्थी शिविर बनाए गए हैं .
– एजेंसी
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