श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर, ईस्काॅन आगरा प्रबंध समिति ने शुरू कीं भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां
कोरोना काल में दो साल बाद निकल रही रथयात्रा को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह और जोश है
आगरा। भगवान जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने वाले धार्मिक महामहोत्सवों में सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण मानी जाती है। आगरा में इस बार भव्य आयोजन की तैयारी है। भगवान श्री जगन्नाथ जी के रथ निर्माण के साथ ही एक जुलाई को निकलने वाली रथयात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। यह जानकारी श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर, ईस्काॅन आगरा में प्रबंध समिति द्वारा पत्रकार वार्ता में दी गई।
ईस्काॅन आगरा के अध्यक्ष अरविंद स्वरूप दास प्रभु जी ने बताया कि कोरोना काल में दो साल तक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा नहीं निकली, लेकिन इस बार यह भव्य होगी। जगन्नाथ जी के रथ ताल ध्वज का निर्माण शुरू हो चुका है। यह चार रंगों हरा, काला, लाल और पीला के साथ ही विशेष साज-सज्जा में होगा। रथयात्रा एक जुलाई को निकलेगी।
भगवान श्रीकृष्ण जगन्नाथ जी के रूप में रथ पर उनके साथ बड़े भाई बलराम (बलभद्र या बलदेव) और बहन देवी सुभद्रा विराजमान होंगी। उनकी पूजा होगी। कहा जाता है भगवान श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ जी की रथयात्रा का पुण्य 100 यज्ञों के समान होता है। प्रबंध समिति के कांता प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि रथयात्रा के प्रारंभ को लेकर कथा मिलती है कि रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर अपने भक्तों के बीच आते हैं और उनके दुख-सुख में सहभागी होते हैं। इसका महत्व शास्त्रों और पुराणों में भी बताया गया है।
प्रबंध समिति कीं देवरूपा माता जी ने बताया कि स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि जो भी व्यक्ति रथयात्रा में शामिल होता है वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होता है। वहीं जो भक्त श्रीजगन्नाथ जी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ से होते हुए जाते हैं वे सीधे भगवान विष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं।
प्रबंध समिति के राहुल बंसल ने बताया कि रथयात्रा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। प्रभु जगन्नाथ जी के भक्त दो वर्ष इस आनंद और भक्तिरस से वंचित रहे तो वे उत्साहित हैं। श्रुति बंसल ने बताया कि भगवान जगन्नाथ जी राधा और कृष्ण दोनों हैं। श्री राधा का चिंतन लेकर श्री कृष्ण ही जगन्नाथ हैं।
ललित माधम प्रभु जी ने बताया कि जगन्नाथ जी कलयुग के देव हैं। राजीव मल्होत्रा ने बताया जैसे सतयुग में प्रभु बद्रीविशाल, त्रेतायुग में श्री राम, द्वापर युग में श्री कृष्ण हुए वैसे ही कलयुग में जगन्नाथ हैं। अदिति गौरांगी माता जी ने कहा कि पतितों का उद्धार करने के लिए प्रभु जगन्नाथ जी प्रकट हुए हैं।
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