Agra News: विश्व मैत्री मंच की काव्य चौपाल में हुई साहित्य और संवेदना की गंगा प्रवाहित

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आगरा। विश्व मैत्री मंच (उत्तर प्रदेश शाखा) द्वारा एक हृदयस्पर्शी एवं गरिमामयी काव्य चौपाल का आयोजन संस्था की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. साधना वैद के निवास स्थान पर किया गया। इस अवसर पर मंच की निदेशक डॉ. सुषमा सिंह, वरिष्ठ कवयित्रियां और साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति में साहित्य और संवेदना की गंगा प्रवाहित हुई। डॉ. साधना वैद की पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ, जिसे साधना वैद ने स्वरबद्ध किया। इसके बाद डॉ. सुषमा सिंह ने चैत्र माह की महत्ता को रेखांकित करते हुए उपस्थित सभी साहित्यकारों को नवसंवत्सर की शुभकामनाएं दीं।

ये रहीं खास प्रस्तुतियां

डॉ. नीलम भटनागर ने जीवन की नाजुकता और आत्मिक शांति को अपने काव्य में पिरोते हुए कहा – “ज़िन्दगी पल-पल में बिखरी है, जैसे दूब पर झिलमिलाती ओस मोती सी।” उन्होंने आत्मा के राममय होने की प्रेरणा देते हुए कहा –”हे मन! राम को स्वयं में बसा ले, आराम पा जाएगा।”

डॉ. रेखा कक्कड़ ने भगवान श्रीराम के सर्वत्र व्याप्त होने की भावना को कविता में उकेरा– “रज के कण-कण में, हवा के हर झोंके में महकते, लहरों के साथ-साथ चलते हैं राम।”

नीलम रानी गुप्ता ने व्यंग्य के माध्यम से श्रोताओं को आइना दिखाया और रचनाकार की अंतर्दृष्टि पर जोर दिया– “जब बदल गए हालात मेरे, जज़्बात हमने बदल दिए।”

राजकुमारी चौहान ने चातक सी प्यास के माध्यम से जीवन की सार्थकता का चित्रण किया और सैनिक के देशप्रेम को सलाम करते हुए कहा –”जब पुकारे देश तो उसका प्रथम अधिकार है।”

साधना वैद ने कविताओं के माध्यम से आशा, संघर्ष और नारी मन की पीड़ा को स्वर दिया– “बादल तेरे आ जाने से जाने क्यों मन भर आता है।” और “नारी जीवन तो जैसे एक्वेरियम में मछली।” राजकुमारी ने नारी चेतना को जाग्रत करते हुए कहा– “मैं पत्नी बनी ताकि जगा सकूं तुम्हारा आत्मबल।”

डॉ. सुषमा सिंह ने दृढ़ स्वर में नारी सशक्तिकरण का उद्घोष किया– “नारी हूं, पददलित होने के लिए नहीं जन्मी हूं” तथा “हर मोर्चे पर जीत दर्ज कर फहराना है अपना परचम!”

कार्यक्रम के अंत में डॉ. साधना वैद ने अपनी काव्य पुस्तक “बंजारा मन” सभी अतिथियों को भेंट की। काव्य चौपाल का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।