Agra News: बहुचर्चित मुकदमा रामलीला कमेटी के पक्ष में, न्यायालय ने मनकामेश्वर मन्दिर प्रशासन के आरोपों को खारिज किया, सभी अभियुक्त बरी

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आगरा। नगर की प्रमुख रामलीला कमेटी और श्री मनकामेश्वर मंदिर प्रबंधन के बीच शहर के सबसे चर्चित डकैती के मुकदमे में आज गुरुवार को फैसला आ गया। अपर जिला जज (एकादश) नीरज कुमार बख्शी ने इस मामले में सभी अभियुक्तों को बरी करने का फैसला सुनाया।

इस बहुचर्चित मामले में मनकामेश्वर मंदिर के प्रबंधक हरिहर पुरी ने रामलीला कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष और विधायक जगन प्रसाद गर्ग समेत आठ लोगों को आरोपी बनाते हुए मंदिर में दिनदहाड़े डकैती डालने और लाखों रुपये के स्वर्ण आभूषण, नकदी लूट ले जाने का मुकदमा लिखाया था।

वर्ष 2013 में लिखाए गए इस मुकदमे में रामलीला कमेटी के तत्कालीन मंत्री रामप्रकाश अग्रवाल, उप मंत्री व पत्रकार संजय तिवारी, ब्राह्मण सभा के राम सुरेश शर्मा, राम मित्रा शर्मा, निखिल शर्मा, राम आशीष शर्मा और बसंतकांत शर्मा को आरोपी बनाया गया था।

दस साल की लंबी अवधि तक चले मुकदमे के दौरान स्वास्थ्य कारणों से विधायक जगन प्रसाद गर्ग, रामप्रकाश अग्रवाल, राम सुरेश शर्मा, राम मित्रा शर्मा और निखिल शर्मा एक-एक कर दिवंगत हो गए। वर्तमान में पत्रकार संजय तिवारी, राम आशीष शर्मा और बसंतकांत शर्मा ही इस मुकदमे में अभियुक्त बचे थे। अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डा हरि दत्त शर्मा ने पैरवी की। वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस मेहरा, अशोक गुप्ता और विजय आहूजा भी बचाव पक्ष से रहे।

बचाव पक्ष से कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी दी थी गवाही

इस मुकदमे में भाजपा के तत्कालीन विधायक और वर्तमान कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी अभियुक्तों के पक्ष में गवाही दी थी और कहा था कि डकैती जैसी कोई वारदात नहीं हुई, यह केवल बारहद्वारी पर अवैध कब्जे के विरोध का मामला था। उधर हरिहर पुरी की ओर से लक्ष्मी देवी, थानेश्वर तिवारी आदि ने गवाही दी थी।

पुलिस ने लगा दी थी एफआर, कोर्ट ने स्वीकार किया था वाद

गौरतलब है कि अप्रैल 2013 में रामलीला कमेटी ने मनकामेश्वर मंदिर के निकट स्थित बारहद्वारी में सभा करते हुए हरिहरपुरी पर अवैध कब्जा करने और बाराद्वारी के हॉल में अवैध दरवाजे निकाल लेने का आरोप लगाया था। इसका विरोध करते हुए रामलीला कमेटी ने हरिहरपुरी द्वारा बनवाए दरवाजों पर ताला लगा दिया था। तब दोनों पक्षों में विवाद निपटाना भी तय हो गया था। लेकिन हरिहर पुरी ने दो माह बाद इस मामले में पुलिस में और कोर्ट में शिकायत की थी। पुलिस ने इस मामले में एफआर लगा दी थी। इस पर हरिहर पुरी ने आपत्ति दाखिल की, जिसको न्यायालय ने वाद पत्र के रूप में स्वीकार किया और हरिहर पुरी व उसके गवाहों के साक्ष्य लेने के उपरांत अभियुक्तगणों को भा.द.स. की धारा 395, 427 व 452 में तलब किया और इन्हीं धाराओं में चार्ज लगाकर विचारण किया। कई साल की लंबी बहस के बाद वर्ष 2018 के पहली बार मुकदमे में निर्णय की स्थिति बनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह फैसला टलता रहा। अंततः आज इस मामले में फैसला आ गया।

हरिहर पुरी ने किया था जल्द फैसले का अनुरोध

इस मामले में हरिहर पुरी ने पिछले दिनों उच्च न्यायालय में आवेदन देकर जल्द फैसला दिलवाने का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने इस मामले में तीन माह के भीतर फैसला देने के निर्देश दिए थे। जिसके सापेक्ष में आज यह निर्णय आया।

यह सत्य की जीत -रामलीला कमेटी

रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विधायक पुरुषोत्तम खण्डेलवाल ने इसे असत्य पर सत्य की जीत बताया। उन्होंने कहा कि रामलीला कमेटी से शहर के प्रबुद्ध और श्रद्धालुजन जुड़े हुए हैं, वे मंदिर में डकैती जैसा पाप नहीं कर सकते हैं। कोर्ट के साथ ईश्वर ने भी न्याय किया है। कमेटी के मंत्री राजीव अग्रवाल ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। मंदिर प्रबंधन के पिछले आरोपों की भांति यह आरोप भी झूठा साबित हुआ।

Compiled: up18 News