Agra News: आवारा गो वंश, कुत्ते व बंदर बने मुसीबत, नगर निगम के सारे दावे हवा हवाई

स्थानीय समाचार

-बंदरों के बाद कुत्ते भी हो रहे हिंसक, सड़क चलते लोगों पर कर रहे हमले

-नगर निगम के बंदरों-कुत्तों की नसबंदी के दावे अब तो हवा हवाई ही लगने लगे हैं

आगरा। आगरा में बंदरों के बाद अब आवारा कुत्ते जिस तरह से हिंसक होकर राह चलते लोगों पर हमले कर रहे हैं, उससे नगर निगम के दावों की पोल खुल रही है। पिछले दिनों शहर में एक बुजुर्ग महिला पर आवारा कुत्तों ने हमला बोल दिया था। अब एक मामला जयपुर हाउस का सामने आया है, जिसमें अपने एक पालतू कुत्ते के साथ टहलने निकली युवती पर कई कुत्तों ने एक साथ हमला बोल दिया।

जयपुर हाउस कालॊनी का यह मामला दो-तीन दिन पुराना है। सुबह के वक्त एक युवती अपने पालतू डॊगी के साथ घूमने के लिए निकली थी। कालॊनी की एक सड़क से गुजरते समय कई कुत्ते अचानक इस युवती को घेर लेते हैं। काटने लगते हैं। युवती बचाने के लिए चिल्लाती है। उसके पालतू डॊगी को भी आवारा कुत्ते हमला कर घायल कर देते हैं।

युवती की चीख सुनकर आसपास के घरों के लोग बाहर निकलकर आए, तब कहीं आवारा कुत्तों से इन दोनों को बचाया जा सका।

सवाल यह है कि आवारा कुत्तों और बंदरों पर नियंत्रण के नाम पर नगर निगम क्या ढकोसला ही कर रहा है। यह सही है कि बंदरों और कुत्तों को मारा नहीं जा सकता, लेकिन इन पर नियंत्रण के लिए यह उपाय सोचा गया था कि इनकी नसबंदी कर दी जाए ताकि इनकी संख्या बढ़ने से रोकी जा सके। सोचा गया था कि एक दिन ऐसा आएगा कि शहर से आवारा कुत्ते और बंदर स्वतः खत्म हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा।

नगर निगम कहता है कि कुत्तों और बंदरों की लगातार नसबंदी की जा रही है, तो फिर सवाल यह है कि इनकी संख्या बढ़ती ही क्यों जा रही है। पिछले दिनों नगर निगम के सदन में वरिष्ठ पार्षद रवि माथुर ने भी नगर निगम के कुत्तों-बंदरों की नसबंदी के अभियान पर यही कहकर सवाल खड़े किए थे कि नसबंदी हो रही है तो इन जानवरों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही क्यों जा रही है।

सच्चाई तो यह है कि बंदरों और कुत्तों की नसवंदी के नाम पर भी गोलमाल ही चल रहा है। यह तो कोई चेक नहीं करता कि नगर निगम का पशु कल्याण विभाग जितने बंदरों और कुत्तों की नसबंदी का दावा कर रहा है, वह सही है या फिर हवा हवाई।

बहरहाल, आवारा कुत्तों और बंदरों ने शहरवासियों का जीना मुश्किल कर दिया है। लोग बंदरों के कारण अपने घरों की छतों पर जाने से डरते हैं और नीचे सड़क पर निकलते समय कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। नगर निगम की बला से, लोग मरें तो मरते रहें।


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