आगरा: ड्यूटी के दौरान एक सैनिक को हृदयाघात होने पर मिलिट्री हॉस्पिटल और एसएन मेडिकल कॉलेज के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाकर तुरंत उपचार उपलब्ध कराया गया जिससे उसकी जान बच गई।
सैनिक को पहले मिलिट्री हॉस्पिटल में इलाज दिया गया, दो घंटे बाद दोबारा तबीयत बिगड़ने पर एसएन मेडिकल कॉलेज में सूचना दी गई। एसएन की कैथ लैब में पूरी टीम तैयार थी। सैनिक के एसएन मेडिकल कॉलेज की सुपरस्पेशियलिटी विंग पहुंचते ही एंजियोग्राफी कर एक घंटे में स्टेंट डालकर जान बचा ली गई।
खेरिया आर्मी क्षेत्र में मंगलवार को ड्यूटी के दौरान सैनिक दोपहर में हार्ट अटैक पड़ा था, मिलिट्री हॉस्पिटल में खून के थक्के को घोलने के लिए इंजेक्शन देकर थ्रोम्बोलिसिस किया गया। इससे खून का थक्का घुल जाता है और मरीज ठीक होने लगता है। लेकिन दो घंटे बाद ही दोबारा तबीयत बिगड़ गई, सीने में दर्द होने लगा। इस पर मिलिट्री हॉस्पिटल से एसएन मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ. बसंत कुमार गुप्ता को शाम 4.30 बजे फोन किया गया, उस समय तक एसएन की सुपरस्पेशियलिटी विंग स्थित कैथ लैब से नर्सिंग स्टाफ और कर्मचारी जा चुके थे। उन्हें बुला लिया गया।
मिलिट्री अस्पताल से मेजर डॉक्टर रोहित जैन अपनी टीम के साथ सैनिक को लेकर शाम पांच बजे एसएन पहुंचे। मरीज को सीधे कैथ लैब में स्थानांतरित किया गया। डॉक्टर बसंत गुप्ता और डॉक्टर सौरभ नागर ने सफलतापूर्वक रेस्क्यू पीसीआई प्रक्रिया पूरी की। एंजियोग्राफी करने के बाद स्टेंट डाला गया। मरीज की जान बच गई।
प्राचार्य डॉक्टर प्रशांत गुप्ता ने बताया कि यह ऑपरेशन न केवल समय पर किया गया, बल्कि इसमें उच्च स्तर की विशेषज्ञता और टीम वर्क भी देखने को मिला। ऑपरेशन के बाद, सैनिक की स्थिति स्थिर है।
रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी