Agra News: ‘सत्य प्रकाश विकल चैरिटेबल नेत्रालय’ में शिला पट्टिका का लोकार्पण, 137 संस्थापक सदस्यों का किया गया सम्मान

विविध

अग्रवाल संगठन कमला नगर का भावपूर्ण आयोजन, आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने कहा, “सच्ची भक्ति है पीड़ित मानवता की सेवा”

आगरा। जहां चिकित्सा अक्सर व्यवसाय बन चुकी है, वहीं चांदनी चौक, कमला नगर स्थित अग्रवाल संगठन कमला नगर द्वारा स्थापित एवं संचालित सत्य प्रकाश विकल चैरिटेबल नेत्रालय ने सेवा और करुणा की मिसाल कायम की है। रविवार को इस मानवता केंद्र पर एक ऐसा क्षण आया जब न सिर्फ़ सेवा के स्तंभों को सम्मानित किया गया, बल्कि एक नई प्रेरणा की शिला भी प्रतिष्ठित हुई।

शिला पट्टिका के लोकार्पण और 137 समर्पित संस्थापक सदस्यों के सम्मान समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब सेवा संकल्प से जुड़ती है, तो समाज की सबसे बड़ी अंधकार भी मिटाई जा सकती है।

कार्यक्रम का शुभारंभ अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथावाचक आचार्य मृदुल कांत शास्त्री द्वारा शिला पट्टिका के अनावरण से हुआ। उन्होंने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। अग्रवाल संगठन स्थापित सत्य प्रकाश विकल नेत्रालय समाज में सेवा की ज्योति जला रहा है।

नेत्रालय के निदेशक प्रदीप अग्रवाल ने जानकारी दी कि 14 जनवरी 2019 को आरंभ हुए इस अस्पताल का उद्देश्य केवल नेत्र उपचार नहीं, बल्कि जरूरतमंदों को सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। अस्पताल में मात्र 30 रुपए में ओपीडी परामर्श उपलब्ध है, दवाओं पर 45% तक की छूट दी जाती है और मोतियाबिंद के ऑपरेशन लागत मूल्य पर किए जाते हैं।

मार्गदर्शक अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि यहां डॉ. अंकित मित्तल एवं डॉ. जूही सिंघल द्वारा मोतियाबिंद, काला पानी और रेटिना जैसी जटिल बीमारियों का सफल इलाज किया जाता है। निर्धन रोगियों के मोतियाबिंद ऑपरेशन निःशुल्क वर्षभर किए जाते है संस्था का उद्देश्य कोई भी निर्धन आँख के इलाज से वंचित ना रहे।

अग्रवाल संगठन कमला नगर के अध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल ने बताया कि अब तक अस्पताल में 10,000 से अधिक ऑपरेशन और 2.5 लाख से अधिक ओपीडी परामर्श प्रदान किए जा चुके हैं। हर वर्ष लगभग 150 निशुल्क ऑपरेशन किए जाते हैं। इसके अलावा वर्ष में दो बार विशेष नेत्र शिविर आयोजित होते हैं जिनमें पंजीकृत मरीजों को मुफ्त ऑपरेशन और दवाएं दी जाती हैं।

शिला पट्टिका लोकार्पण के उपरांत अग्रवाल सेवा सदन, कमला नगर में आयोजित सम्मान समारोह में आचार्य मृदुल कांत शास्त्री ने “सेवा ही परम धर्म है” विषय पर प्रेरणादायक वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि जो समाज दूसरों के दुख को अपना मानकर सेवा करता है, वही सच्चे अर्थों में ईश्वर की पूजा करता है।

इस अवसर पर अस्पताल के संचालन में योगदान देने वाले 137 संस्थापक सदस्यों को सम्मानित किया गया। सभी को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र और प्रशस्तिपत्र भेंट कर उनके अमूल्य सहयोग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई।

रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी