आगरा। सूर सरोवर पक्षी विहार (कीठम झील) का क्षेत्रफल 400 हेक्टेयर से बढ़ाकर 800 हेक्टेयर करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तब अमल हो पा रहा है जबकि एनजीटी में अवमानना याचिका दाखिल होने पर अधिकारियों के फंसने की नौबत आ गई। सूर सरोवर के क्षेत्र में 380 हेक्टेयर की वृद्धि हो चुकी है। 15 हेक्टेयर शामिल होना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में दायर याचिका पर आज हुई सुनवाई में वन विभाग की ओर से अवगत कराया गया कि 380 हेक्टेयर क्षेत्रफल विस्तार की अधिसूचना जारी हो चुकी है जबकि शेष बचे 15 हेक्टेयर को शामिल करने में अभी थोड़ा समय लग सकता है।
आज की सुनवाई के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ कि वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 380 हेक्टेयर क्षेत्रफल विस्तार की अधिसूचना तो जारी कर दी है, लेकिन सूर सरोवर पक्षी विहार के आसपास ईको सेंसिटिव जोन को एक किलोमीटर से घटाकर शून्य कर दिया है।
याचिकाकर्ता पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की ओर से ईको सेंसिटिव जोन जीरो किए जाने पर आपत्ति उठाई गई। डॊ. गुप्ता के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि ईको सेंसिटिव जोन न्यूनतम एक किलोमीटर तो होना ही चाहिए। सूर सरोवर पर यह जोन जीरो किया जाना सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के खिलाफ है।
एनजीटी ने भी माना कि सूर सरोवर पक्षी विहार का ईको सेंसिटिव जोन शून्य नहीं किया जा सकता। एनजीटी की ओर से इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। इस पर एनजीटी ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई में ईको सेंसिटिव जोन को लेकर शपथ पत्र प्रस्तुत करें।
सालों पहले किया था सुप्रीम कोर्ट ने आदेश
सूर सरोवर पक्षी विहार का एरिया 400 हेक्टेयर से बढ़ाकर लगभग 800 हेक्टेयर करने संबंधी आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सालों पहले जारी किया था। लम्बे समय तक इस पर अमल न होने पर पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने इस मामले में एनजीटी में अवमानना याचिका दायर की। इसके बाद ही सरकारी मशीनरी हरकत में आई। आज हुई सुनवाई में बताया गया कि 380 हेक्टेयर क्षेत्रफल विस्तार की अधिसूचना जारी हो गई है जबकि शेष 15 हेक्टेयर को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।