आगरा: 238 करोड़ रुपये की अनियमितता के आरोपी बर्खास्त संविदा कर्मचारी को अपना ओएसडी बना लेने के फैसले के बाद मेयर हेमलता दिवाकर घिर गई हैं। नगर निगम में आज बजट सत्र के दौरान सदन में विपक्षी नेताओं ने जमकर हंगामा किया। पार्षद धरने पर बैठ गए। भाजपा और बसपा सहित अन्य पार्षदों के बीच जमकर तकरार हुई। हंगामे के चलते मेयर सदन छोड़कर बाहर चली गईं। दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने वॉक आउट कर दिया।
ओएसडी राकेश बंसल को लेकर विपक्ष के हंगामे के बाद मेयर हेमलता दिवाकर ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि राकेश बंसल पर 238 करोड़ की संपत्ति जुटाने के जो आरोप लगे हैं, वो अभी साबित नहीं हुए हैं। ऐसे में वह कैसे मान लें कि राकेश बंसल भ्रष्टाचारी हैं। वो मेयर हैं, उनको अधिकार है कि किसको ओएसडी रखेंगी। उन्होंने कहा कि पता नहीं विपक्ष को क्या मिर्ची लग गई है, जो हंगामा कर रहे हैं।
सदन छोड़कर बाहर जाने के करीब 15 मिनट बाद मेयर हेमलता दिवाकर वापस सदन में लौंटी। उनके आते ही बसपा और सपा के पार्षद हंगामा करने लगे। उन्होंने सदन से वॉक आउट कर दिया। सभी पार्षद सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। हालांकि पार्षदों के वॉक आउट के बाद भी सदन की कार्यवाही चलती रही।
राकेश बंसल को लेकर सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हो रहा है। पत्र में वर्ष 2017 की तारीख लिखी है। उस समय विधायक रहते खुद हेमलता दिवाकर ने राकेश बंसल को हटाने और जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। इस पत्र के वायरल होने के बाद हेमलता दिवाकर पर सवाल उठ रहे हैं। ये पत्र सही है या फर्जी, इसकी अधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। मेयर का मानना है कि नगर निगम में संविदा कर्मी राकेश बंसल से अनुभवी कोई व्यक्ति नहीं है। उनके पंद्रह साल के अनुभव को देखते हुए उन्हें ओएसडी बनाने का आदेश जारी किया है।
बुधवार को मेयर हेमलता दिवाकर ने पत्रकारों को बुलाया था। उनके साथ शहर और नगर निगम को बेहतर करने के लिए चर्चा की थी। इस चर्चा में नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोप और तबादला होने के बाद भी सीट पर जमे कर्मचारियों के नाम आए। मेयर ने कहा कि अब उनके कार्यकाल में ये सब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विश्वास दिलाया कि भ्रष्टाचार के आरोप लगने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
यहां यह भी बता दें कि भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने संविदा कर्मी राकेश बंसल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने वर्ष 2021 में शासन से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राकेश बंसल ने नगर निगम में 12 साल तक टेंडर पूल किया है। वह अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग करता है। इस पर विजिलेंस जांच भी शुरू हुई थी। जो भी भी चल रही है।
राकेश बंसल वर्ष 2008 में नगर निगम में पांच हजार रुपये वेतन पर कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात हुआ था। तत्कालीन नगर आयुक्त श्याम सिंह यादव ने उसे पीए बना दिया था। इसके बाद तो राकेश बंसल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। संविदा कर्मी होते हुए भी निगम के अधिकारियों जैसा रुतबा रखता था। उसने टेंडर पूल करना, संविदा कर्मचारियों को रखवाना, बिना काम के भुगतान करने जैसे गोरखधंधे शुरू कर दिए थे। नगर आयुक्त अरुण प्रकाश का तो वो चहेता था। निखिल टीकारामफुंडे के कार्यकाल में शिकायत होने पर उसकी सेवा समाप्त हुई थीं।
सेवा समाप्त होने के बाद से एक साल से राकेश बंसल भूमिगत था। मगर हेमलता दिवाकर के मेयर बनते ही राकेश बंसल फिर से एक्टिव हो गया। नगर निगम में उसका आना-जाना शुरू हो गया था।