आगरा। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने आगरा में स्वयं आर्य समाज की स्थापना की थी। ऋषियों की पवित्र भूमि आगरा में स्वामी दयानंद का आगमन तीन बार हुआ।
स्वामी दयानंद सरस्वती के 201वें जन्मोत्सव पर सूर्य नगर पार्क में आयोजित कार्यक्रम में आर्य रत्न विदुषी शांति नागर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती सबसे पहले वे 1863 में आगरा आए और यमुना किनारे लाला गल्लोमल के बगीचे में दो साल तक रहकर स्वामी दयानंद ने प्रवचन दिए। दूसरी बार आगमन 1866 में हुआ। उस समय मुफीद ए आम स्कूल पीपल मंडी में था। यहां भी उन्होंने कई महीने तक प्रवचन दिए और शहरवासियों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक किया। इसके बाद उनका एक बार और आगरा आगमन हुआ।
स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव के अंतर्गत प्रातः आठ बजे सूर्य नगर पार्क में विश्व कल्याण के लिए महायज्ञ और 201 गौ घृत दीपमाला प्रवज्ज्वलित की गयी। आर्य समाज की महिलाओ ने सौ बार जन्म लेंगे सौ बार फ़ना होंगे… भजन गाकर समूह प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में आर्य समाज आगरा मंडल की दो दर्जन से अधिक शाखाओ के आर्यजन शामिल हुए।
महोत्सव संयोजक प्रदीप कुलश्रेष्ठ व राजेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि आर्य समाज का सर्वोच्च सम्मान आर्य रत्न 2025 डॉ. वीरेंद्र खण्डेलवाल को प्रदान किया गया। आर्य सम्मान सुधीर अग्रवाल को दिया गया।
समारोह में रोहतक से आये स्वामी आर्यवेश ने कहा कि ऋषि दयानन्द सरस्वती धर्म और संस्कृति के रक्षक थे। महर्षि दयानंद ने प्रत्येक गृहस्थ के लिए पांच यज्ञों का विधान किया है, जिनमें ब्रह्म यज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, बलिवैश्वदेवयज्ञ, अतिथि यज्ञ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम जो करते हैं, वह कर्म नहीं है। कर्ता के द्वारा सबसे इच्छित को प्राप्त करने के लिए निरंतर किया जाने वाला काम ही कर्म है।
मुख्य अतिथि सीए उमेश गर्ग ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज के संघर्ष, त्याग और बलिदान की अतुल्य गाथा है। बेटियां ऋषि की ऋणी हैं, क्योंकि उन्हीं के प्रयासों से समाज में महिला शिक्षा बढ़ी, वेदाध्ययन का अधिकार मिला।
भजन उपदेशक गौरव शास्त्री ने आर्यजनों को भजनों के द्वारा बुराइयां त्यागने का आह्वान किया। उन्होंने एक से बढ़कर एक भजनों से सभी को भावविभोर कर महर्षि दयानंद का गुणगान किया। आर्यरत्न वैदिक विद्वान उमेशचन्द कुलश्रेष्ठ ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवंत पर्यन्त मानव कल्याण, धार्मिक कुरीतियों पर रोकथाम और विश्व की एकता के प्रति समर्पित भाव के बारे में नई पीढ़ी को बताया।
संचालन अश्वनी आर्य ने किया। धन्यवाद व्यवस्थापक सीए मनोज खुराना ने दिया। इस अवसर पर एडवोकेट विजय पाल सिंह चौहान, विजय अग्रवाल, राजीव दीक्षित, अनुज आर्य, वीरेंद्र कनवर, भारत भूषण सामा, विकास आर्य, सुभाष अग्रवाल, अश्वनी डेंबला, सुधाकर गुप्ता, यतेंद्र आर्य आदि मौजूद रहे।