Agra News: महानाट्य चक्रव्यूह ने किया लोगों को रोमांचित, जीवंत हुई योगेश्वर श्रीकृष्ण की छवि

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आगरा। सूरसदन प्रेक्षागृह में रविवार को जीवंत हुआ द्वापर का वो क्षण जब अपनों ने ही वध किया था अपने ही वंश का। हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों एवं अन्य सेवा प्रकल्पों को समर्पित दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा आयोजित महानाट्य चक्रव्यूह का आगरा में भव्य मंचन हुआ, जिसका संदेश था कि अभिमन्यु आज भी जीवंत है। आज भी रचा जा रहा है चक्रव्यूह कुरुक्षेत्र का। जीवन का चक्रव्यूह यदि तोड़ना चाहते हैं, तो सद्कर्म ही बन सकते हैं मुख्य अस्त्र।

इस महानाट्य के सूत्रधार स्वयं चक्रधारी श्रीकृष्ण थे। श्रीकृष्ण की छवि को जीवंत करते हुए नितिश भारद्वाज अपने छंदमय संवाद से हर दर्शक को स्तब्ध कर रहे थे। महानाट्य में दिखाया जाता है कि जब एक के बाद एक हार के क्षणों से गुजर रहे कौरवों में खलबली मची हुई है। दुर्योधन भीष्म पितामाह, गुरु द्रोणाचार्य जैसे महारथियों पर आक्षेप लगाता है कि आपकी निष्ठा पर संदेह सा हो जाता, बाण आपका एक भी क्योंकि लक्ष्य भेद नहीं पाता।

अभिमन्यु वध पर सजल हुए नेत्र

इसके बाद चक्रव्यूह रचा गया। 16 वर्ष के बालक अभिमन्यु का पुरुषार्थ देख सात कुरुवंशियों के मन का भय भी घबरा गया। अभिमन्यु के वध के मार्मिक दृश्यों ने दर्शकों के नेत्र सजल कर दिए। जीवन के चक्रव्यूह को भेदने की सीख देते हुए जब श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्म बंधन और स्वयं के निर्णय ही चक्रव्यूह की रचना करते हैं। स्वयं भगवान भी जीवन में होने वाले महाभारत को नहीं रोक सकते हैं।

महानाट्य चक्रव्यूह के लेखक एवं निर्देशक अतुल सत्य कौशिक ने कहा कि महानाट्य को श्रीकृष्ण के दृष्टिकोण से लिखा गया। देशभर में 100 से भी अधिक बार इसका मंचन हो चुका है।

महानाट्य में अभिमन्यु साहिल छावड़ा और अर्जुन की पत्नी उत्तरा की भूमिका में सुष्मिता मेहता ने दर्शकों का मन जीत लिया। महाना्टय के समापन पर स्वागत मंत्री अभिनव मौर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन संयोजक मनीष अग्रवाल रावी और सह संयोजक ललित शर्मा ने किया।

जब उत्तरा के प्रश्न ने द्रवित कर दिया दर्शकों को

अभिमन्यु के वध के बाद जब उनकी पत्नी उत्तरा, अर्जुन की पत्नी और अपनी सास से पूछती है कि अभिमन्यु लौटेगा कि नहीं? बताओ मां लौटेगा कि नहीं? तब पूरा सभागार सन्न रह गया। मां, पुत्र के वीरगति पाने पर गौरव करती है और कहती है− इसी दिन की खातिर पुत्र पाते हैं हम।

महानाट्य का यह था सार

महानाट्य चक्रव्यूह के माध्यम से संदेश दिया गया कि चक्रव्यूह केवल यक युद्ध कला तक ही सीमित नहीं है बल्कि संपूर्ण जीवन दर्शन के स्तर को समझने की ओर प्रेरित करता है। नाटक में कुरुक्षेत्र की रक्तरंजित धरा को संबोधित करते हुए संदेश देने का कार्य किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आने वाले युगों में कुरुक्षेत्र की धरती को बहुत से उत्तर देने होंगे। उन सभी अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर देना होगा जो भावी पीढ़ियां उनसे पूछने वाली हैं।

अपनी माता के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने का अधूरा ज्ञान सीखने वाले अभिमन्यु के प्रश्न भी सम्मलित हैं। चक्रव्यूह में फंसकर युद्ध नियमों के विपरीत वीरगति को प्राप्त होने पर पांडव पक्ष का शोक बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया।

नाटक में उत्तरा, अर्जुन, द्रोपदी और अन्य परिजनों के मन में श्रीकृष्ण से पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर रखा गया। अंततः श्रीकृष्ण का शाश्वत सत्य संदेश कि कोई भी अपने कर्मों में रचे गए स्वयं के चक्रव्यूह से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। हमारा संपूर्ण जीवन इस चक्रव्यूह के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। सदकर्मों से जीवन रूप चक्रव्यूह को भेद कर विजयी होकर बाहर निकलना पड़ता है।

इन संस्थाओं का हुआ सम्मान

आयोजन में लोकहितम ब्लड बैंक, क्षेत्र बजाजा कमेटी, लोक स्वाभिमान फाउंडेशन, सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट, हेल्प आगरा, भारतीय शिक्षा समिति, सृजन फाउंडेशन, एक पहल, समर्पण ब्लड बैंक, विवेकानंद हेल्थ मिशन, श्रीगौशाला समिति, वनवासी कल्याण आश्रम, संवेदना एक प्रयास का इनके सेवा कार्य के लिए सम्मान किया गया।

इन्होंने किया शुभारंभ

इससे पहले आयोजन का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संस्थापक अध्यक्ष आशीष गौतम, डॉ. प्रमोद शर्मा, संजय चतुर्वेदी, केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, सांसद राजकुमार चाहर, राज्यसभा सांसद नवीन जैन, कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य, उप्र लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग, आनंद जी, मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी, पुलिस आयुक्त जे रविंद्र गौड़, दीपक ऋषि, सोम कुमार मित्तल, संजीव माहेश्वरी, संजय अग्रवाल, प्रमोद सारस्वत, उमेश गर्ग ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

स्वागाताध्यक्ष सोम कुमार मित्तल ने सभी का स्वागत किया। संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम ने संस्था के उद्देश्यों को रखा। आरएसएस के क्षेत्रीय कार्यवाह डॉ. प्रमोद शर्मा एवं विभाग प्रचारक आनंद जी ने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला।


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