Agra News: गोधूली बेला में गूंजा गोपाल नाम, श्री मनःकामेश्वर गौशाला में सम्पन्न हुआ भव्य गोपाष्टमी उत्सव

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ग्वाल रूप में योगेश पुरी का गौचारण, बाल-गोपालों संग गांव भ्रमण, दीपदान और 56 भोग ने रचा दिव्य दृश्य

आगरा। सनातन ग्रामीण संस्कृति, गौ-भक्ति और श्रीकृष्ण बाल-लीला का अद्भुत दर्शन कराते हुए गोपाष्टमी एवं 56 भोग महोत्सव गुरुवार को श्री मनःकामेश्वर गौशाला, ग्राम गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड में बड़े ही भक्ति-भाव और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर तिलकायत मठ श्री महंत योगेश पुरी स्वयं ग्वाल रूप में गौमाता के साथ गाँव की पगडंडियों से होते हुए गौचारण हेतु निकले। बाल-गोपाल नंदलाल स्वरूप में सजकर उनके साथ चल रहे थे, जिससे पूरा क्षेत्र श्रीकृष्ण बाल-लीला का जीवंत मंच बन गया।

गोधूली बेला में गौशाला वापसी पर यशोदा स्वरूप महिलाओं द्वारा दीपदान किया गया। दीपों की शुभ्र आभा और “जय गौ माता, जय नंदलाल” के जयकारों ने पूरे परिसर को दिव्यता से भर दिया। तत्पश्चात गौमाता को 56 भोग विभिन्न शाक सब्जियां अर्पित किए गए और सभी भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की।

तिलकायत मठ श्रीमहंत योगेश पुरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गोपाष्टमी केवल पर्व नहीं, यह हमारी सनातन सभ्यता का हृदय है। गौमाता हमारे धर्म, कृषि, परिवार और संस्कृति की आधारशिला हैं। आज गाँव की धरती पर श्रीकृष्ण की बाल-लीला का साकार अनुभव हुआ। गायों के साथ चलना, बाल-गोपालों को ग्वाल रूप में देखना, यही भारतीय संस्कृति की वास्तविक परिभाषा है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति जीवन में एक बार गौ-सेवा और चरितार्थ का अनुभव अवश्य करे।

मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने कहा कि गौशाला केवल सेवा का स्थान नहीं, यह संस्कार और संस्कृति का मंदिर है। यहाँ आने वाला गौ-भक्त न केवल गौसेवा करता है बल्कि अपने मन में करुणा, श्रद्धा और धर्म का प्रकाश भी प्रज्वलित करता है। बाल-गोपालों को कृष्ण रूप में सजकर गौचारण करते देखना अत्यंत प्रेरणादायक रहा। आने वाली पीढ़ियों को यह परंपरा समझाना ही हमारा उद्देश्य है। थानेश्वर तिवारी, इंद्राज चतुर्वेदी और नवगजानन गोस्वामी ने गौ माता का विधि विधान से पूजन करवाया।

व्यवस्था सुधीर यादव, एनटीपीसी के जनरल मैनेजर किशोर सोलंकी, ब्लॉक प्रमुख उत्तम सिंह काका, प्रधान हरेंद्र सिंह, लक्ष्मीकांत, विजय सिंह, शालिनी बंसल, मीरा जैन, देवांशी आदि ने संभाली।

रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी