आगरा। वजीरपुरा स्थित प्राचीन सीताराम मंदिर में मां पीतांबरा सेवा समिति द्वारा आयोजित प्राकट्य उत्सव एवं वार्षिकोत्सव के द्वितीय दिवस पर श्रद्धा और साधना का दिव्य संगम देखने को मिला।
सोमवार को आयोजन के द्वितीय दिवस की शुरुआत पंचद्रव्यों एवं औषधियों से मां पीतांबरा के विशेष अभिषेक एवं भव्य श्रृंगार से हुई। इसके बाद दतिया पीठ के महंत याज्ञवल्क्य शास्त्री का मंदिर प्रांगण में स्वागत किया गया। महंत याज्ञवल्क्य के मार्गदर्शन में पंच कुंडीय यज्ञ का आयोजन सम्पन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां समर्पित कीं।यज्ञ के दौरान पूरे वातावरण में दिव्यता और ऊर्जा का संचार हो रहा था। 1100 माला का मंत्र जाप भी हुआ।
महंत याज्ञवल्क्य शास्त्री ने अपने उद्बोधन में मां पीतांबरा की तांत्रिक साधना परंपरा और साधकों के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह उत्सव आत्मबल, विजय और वाणी की सिद्धि का माध्यम है और प्रत्येक साधक को इससे लाभ लेना चाहिए।
इसके उपरांत कन्या पूजन का आयोजन हुआ, जिसमें नौ कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर पूजन, भोजन और उपहार अर्पित किए गए। बाद में भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
पूरे आयोजन के दौरान मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था। माता के दिव्य श्रृंगार और फूल बंगले ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। बैंड-बाजे के साथ आरती के आयोजन ने वातावरण को और अधिक भक्तिमय बना दिया।
मंदिर के महंत अनंत उपाध्याय और मुकेश शर्मा ने बताया कि यह उत्सव मां पीतांबरा की साधना और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। आयोजन समिति के सदस्य अरुण उपाध्याय ने श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस आयोजन को सफल बनाने में कई स्वयंसेवकों ने सेवा दी।
इस अवसर पर मनीष अग्रवाल, डॉ. संजीव नेहरू, अजय उपाध्याय, मोहित, आयुष, लता, ममता, वंदना, अन्ना गुरु, पंकज शास्त्री, राजपाल मिश्रा, ऋषि अग्रवाल आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।