Agra News: प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों के शोषण पर शिक्षा विभाग मौन – टीम पापा

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रोम जल रहा है  नीरो बंशी बजा रहा है… – मनोज शर्मा

आगरा प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स – टीम पापा के संस्थापक संरक्षक मनोज शर्मा ने वर्तमान स्थिति को लेकर अभिभावकों के हित में चिंता जाहिर करते हुए विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि आगरा सहित पूरे उत्तर प्रदेश में अभिभावक शोषण जारी है, प्रदेश सरकार की दो हजार अट्ठारह 2018 शिक्षा नीति के नियमों की धता बता कर शिक्षा विभाग पूरे उत्तर प्रदेश में मौन धारण करके बैठा हुआ है, यह कहावत यहां पूरी तरह से चरितार्थ होती है,
रोम जल रहा है नीरो बंसी बजा रहा है,

शैक्षिक सत्र 2023 – 2024 में प्राइवेट विद्यालयों के द्वारा शिक्षा नीति उत्तर प्रदेश – 2018 के आदेश अनुसार कोई भी विद्यालय किसी अभिभावक को चयनित दुकान से किताबें, स्कूल ड्रेस, स्टेशनरी आदि सामान खरीदने के लिए मजबूर नहीं करेगा, बहुत ही शर्मनाक स्थिति में कहना पड़ता है, लगातार पापा संस्था सम्बंधित सरकारी विभागों को शिकायत करती आ रही है किंतु विभाग के अधिकारी हैं कि अपने पदीय दायित्व को भूलकर कुर्सी से चिपक कर बैठे हैं,

आगरा का हर अभिभावक जनता है, कि उसका शोषण विद्यालय कर रहे है , एल.के.जी. , यू.के.जी. जैसी पूर्व प्राथमिक कक्षाओं की पुस्तकें लगभग 5000 से 9000 हजार रुपये तक बेची जा रही है, प्राईवेट विद्यालयों की दुकानें चयनित है या फिर उनके द्वारा ही प्रायोजित अवैध उपक्रम है, इसी कारण से दुकानदार अभिभावक को दुत्कार रहा है, सभी सामान पहले से ही अधिकतम प्रिंट धनराशि पर बिना किसी छूट पर लेने के लिये विवश किया जा रहा है।

सभी अभिभावक जानते है कि उसके बच्चे के विद्यालय की किताबें, ड्रेश कहाँ मिलेंगी?  बस सम्बंधित अधिकारियों को ही कुछ नही पता!

बोर्ड परीक्षा के लिए फ्लाईंग का गठन हो सकता है, पर किताब विक्रेता, ड्रेस विक्रेता आदि की जांच के लिये  अधिकारियों की आंख पर पट्टी बंधी है,

वाणिज्य कर  जी एस टी विभाग , सड़को पर रोक कर  विक्रय कर की जांच कर सकता है, बस इन विक्रेताओं को  जो बिना बिल के अभिभावकों को खुलेआम लूट रहे है और सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि कर रहे हैं, कर चोरी जैसे गंभीर वित्तीय अपराध और अभिभावकों के जबरन आर्थिक शोषण से अनभिज्ञ है,

हमारा लोकल ख़ुफ़िया विभाग भी इसकी जानकारी शासन को नही दे पा रहा है मा. मंत्री महोदय, मा. सांसद गण , मा. विधायकगण, मा. विधान परिषद सदस्य गण , अथवा सत्ता संगठन के अन्य पदाधिकारीगण आदि जनप्रतिनिधियों में से किसी को भी यह जनविरोधी शोषण दिखाई नही देता,
संस्था माननीय उच्च न्यायालय  से जनहित याचिका जीत कर 15% विद्यालयों से सालाना शुल्क सत्र 2020 – 21 की वापिस का निर्देश पा चुकी है , जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने शासनादेश भी जारी कर दिया गया है ,
पर बड़े खेद से कहना पड़ता है कि आगरा के शिक्षा विभाग इसका पालन करवाने में भी चुप्पी साधे हुये है,  जो कि अत्यंत गंभीर प्रकरण है और शोषण में सम्मिलित होने की ओर संकेत कर रहा है।

यह सब एक जनविरोधी संगठित भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
संस्था ने तमाम विद्यालयों की शिकायत की जो शाशनादेश का उलंघन कर रहे है, पर सुनने वाला कोई नही है, कॅरोना काल से लेकर आज तक शिक्षा विभाग ने किसी भी विद्यालय पर शासनादेश उलंघन की कार्यवाही नही की है ।

संस्थाओं का कार्य है, सबंधित विभाग तक जनमानस की शिकायत भेजना, आंदोलन करना, न्यायपालिका में गुहार लगाना, पर शासनादेश के पालन व सरकार की नीतियों के पालन व क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रशासन की है  ओर प्रशासन को चलाने की जिम्मेदारी सरकार की, अधिकारी शासनादेश व सरकार की नीतियों का पालन न करबाकर सरकार की छबि धूमिल करने का कार्य कर रहे है,  स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मा0 मुख्यमंत्री जी को इसका संज्ञान लेकर अवगत कराना चाहिये ताकि अभिभावकों से  किताबें, ड्रेश आदि से कमीशन का खेल बंद होकर अभिभावक को कुछ राहत प्राप्त हो सके,

किताबे बिल से मिले जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त हो, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की गरिमा के लिये 15%  शुल्क वापिसी हर पात्र लाभार्थी अभिभावक को होनी  चाहिए.

मैं प्रत्येक अभिभावक से कहना चाहता हूँ कि विद्यालयों के शोषण के आगे झुकना बन्द  कर दें।

हमारी एकता हमारी शक्ति है, जिसकी एक मिसाल यह है कि आगरा के एक नामी विद्यालय ने अभिभावक एकता को भंग करने के लिये अपने केम्पस में पर्चे बाटने पड़ गये ,
यह हमारी आगामी जीत का कदम होगा, हम दृढ़ संकल्पित है शिक्षा, छात्र व अभिभावकों के हित के लिये… न डरेंगे, न रुकेंगे, न झुकेंगे…. संस्था अभिभावक हित मे कदम आगे बढ़ाती रहेगी ।


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