आगरा। आम नागरिकों के लिये सहज पहुंच वाला सिविल एयरपोर्ट आगरा 1998 से सपना रहा है और आगे भी कई दशक तक एयरपोर्ट को वायुसेना परिसर में ही बने रहना है। यह स्थिति तब है जबकि सिविल एन्क्लेव को वायुसेना परिसर से बाहर लाये जाने को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अनुमति मिल चुकी है। जिसे आधार बनाकर अब तक इसे लंबित रखा जाता रहा था।
जबकि हकीकत यह है कि सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट को जैसे ही अनुमति मिली उसी के साथ ही इसे फिर से लंबित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया। आगरा के जनप्रतिनिधियों में से एक भी आगरा के हित के विरोधी कार्य पर नहीं बोला । हो सकता है कि उन्हें एयरपोर्ट अथॉरिटी के इस निर्णय की जानकारी ही नहीं हो।
95 एकड़ जमीन खरीदने को धन की उपलब्धता सुनिश्चित करें
आगरा के नागरिकों के लिये सबसे कष्टकारी यह है कि जब जमीन अधिग्रहण सहित सभी अनुमतियां मिल चुकी हैं फिर भी इसका निर्माण शुरू क्यों नहीं हो सका । अचानक 95 एकड़ जमीन और खरीदने का इल्म एयरपोर्ट अथॉरिटी को क्यों आया। उ प्र सरकार अगर जमीन खरीदना चाहती है और सामर्थ्य है तो जरूर खरीद कर एयरपोर्ट अथॉरिटी को दे। किन्तु नागरिकों का धैर्य बनाए रखने के लिये यह जरूर स्पष्ट कर दिया जाये कि इतनी जमीन खरीदने के लिये सरकार की ओर से धन की क्या व्यवस्था की गयी है। इस मामले पर अब तक न तो शासन का ही कोई भी प्रतिनिधि ही बोला है और नहीं सत्ता दल से संबंधित जनप्रतिनिधि ही।
विधायक के सदनों में गुम क्यों हो चुकी है आगरा की आवाज
आगरा प्रमुखता के साथ पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर है ,देश के हर छोटे बडे शहर में नागरिक हवाई अड्डे बन चुके है, लेकिन आगरा का मामला लगातार लटका ही चल रहा है। क्या अपने आप में यह आश्चर्यजनक नहीं है कि आगरा के जनप्रतिनिधि अपनी ओर से यह मामला कभी नहीं उठाते। कम से कम संसद के सदनों चर्चा या प्रश्न के रूप में तो अब तक इस मुद्दे को नहीं उठाया।
जनता के बीच स्थिति स्पष्ट करें
जन जानकारी के लिये सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा भारत सरकार से जानना चाहती है कि आगरा के जनप्रतिनिधियों को मालूम नहीं है या फिर आगरा की जनता को अनभिज्ञ रखा जा रहा है कि आगरा का सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है। इसके लिए जनवरी 2023 तक जो फंड था, उसका उपयोग क्लीयरेंस के बाद निर्माण शुरू करवाने में न कर अन्य किसी कार्य में कर डाला गया है। यही नहीं आगरा के सिविल एन्क्लेव प्रोजेक्ट को फंडिंग के लिये प्रधान मंत्री गति शक्ति -नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी मॉड्यूल कनेक्टिविटी (PM Gati Shakti – National Master Plan for Multi-modal Connectivity ) में डाल दिया गया है।
जनवरी 2023 से इसे निवेश प्रोजेक्ट की सूची में डाले जाने के बावजूद न तो विदेशी निवेशक इसके लिए आगे आया और नहीं प्राइवेट निवेशक ही। इस दौर में प्रधानमंत्री के तमाम विदेशी दौरे हो चुके है और यूपी में निवेश के लिये आकर्षित करने को तमाम शोकेस और सैमीनारे हो चुकी हैं। निवेश की जो स्थिति है ,उसके चलते नहीं लगता कि ताज ट्रिपेजियम जोन में कोई भी बड़ा निवेशक ,निवेश करने आगे आने का साहस कर सकेगा। निवेश को जुटाने के लिए जनवरी से अगस्त तक आठ महीने का समय बहुत होता है। वैसे भी जिस प्रोजेक्ट के लिये जमीन (95 एकड़ )तक उपलब्ध नहीं है,तो फिर निवेशक फिर हिम्मत कैसे दिखा सकेगा।
215 वीं बैठक की राजदारी स्पष्ट की जाए
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का कहना है कि एयरपोर्ट दो नहीं और ज्यादा टैक्सी ट्रैक का बनाये किन्तु जिस प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट और एनवायरमेंट डिपार्टमेंट की अनुमति मिली हुई है उसे तो शुरू होने दें। एयरपोर्ट अथॉरिटी की 215 वीं बैठक के एजेंडे में स्वीकृत प्रोजेक्ट को किस के कहने पर रोका गया है,स्पष्ट किया जाये। यह निर्णय स्पष्टत:आगरा के हितों के विरुद्ध है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मांग करती है कि आगरा के सिविल एन्क्लेव को लेकर आधिकारिक जानकारी लायी जाये।जिससे आगामी 2024 के चुनाव में किसी भी पार्टी का कोई नेता या स्टार प्रचारक जनता के बीच सिविल एयरपोर्ट को लेकर भ्रम न फैला सके। आगरा के लोग जानते है कि जब सिंगल टैक्सी ट्रैक वाले सिविल एन्क्लेव को सुप्रीम कोर्ट और ताज ट्रिपेजियम जोन की अनुमति मिलना मुश्किल थी तो दो टैक्सी ट्रैक वाले सिविल एन्क्लेव को भला कैसे अनुमति मिल पायेगी।। वैसे भी डोमेस्टिक फ्लाइट के लिये बनाये जा रहे सिविल एन्क्लेव के लिये दूसरे टैक्सी ट्रैक की जरूरत ही कहां है। यही नहीं अगर दूसरा टैक्सी ट्रैक जरूरी भी है तो स्वीकृत प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवाने के साथ ही मौजूदा एन्क्लेव का इस्तेमाल भी जारी रखा जा सकता है।
आज की प्रेस वार्ता में शिरोमणि सिंह; अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना,ग्रुप कैप्टन डॉ जय पाल सिंह चौहान, के एन अगिहिनोत्री, अभिनय प्रसाद, अमित खत्री,असलम सलीमी आदि उपस्थित थे।
-pr
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