-पूर्व मंत्री ने कहा- उन्होंने मंत्री रहते सीकरी में तेरह मोरी बांध पर 50 एकड़ जमीन आवंटित कराई थी
-सौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी आगे बढ़वा दिया, पर अब यह फाइल आगे नहीं बढ़ रही
आगरा। पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चौधरी उदयभान सिंह ने वीर गोकुला जाट के बलिदान दिवस पर आगरा की राजनीति तो धिक्कारते हुए उन अप्रत्यक्ष रूप से नेताओं को आड़े हाथ लिया है जो आगरा-जयपुर मार्ग पर तेरह मोरी बांध, फतेहपुरसीकरी में वीर गोकुला पार्क के नाम से आवंटित 50 एकड़ भूमि का सौंदर्यीकरण नहीं करा पा रहे।
चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैंने अपने राजनीतिक कालखंड में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में वीर गोकुला के नाम को चिरस्थायी बनाने के लिए सार्थक पहल की और पुरजोर आवाज उठाई। इसके लिए उन्होंने इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर से उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग की लगभग 50 एकड़ जमीन आवंटित कराई।
उन्होंने कहा कि इस जगह के सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 100 करोड रुपए का प्रस्ताव भी शासन पर आगे बढ़वाया। अब जबकि वे मंत्री नहीं हैं, पिछले दो वर्ष से फाइलों में यह पत्रावली आगरा की राजनीति को धिक्कार रही है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि आज ही के दिन यानि एक जनवरी 1670 को आगरा शहर में हींग की मंडी में कोतवाली के सामने तत्कालीन मुगल शासक औरंगजेब ने वीर गोकुला जाट के शरीर के एक-एक अंग को निर्ममता से कटवाकर उनकी जघन्यतम तरीके से हत्या कराई थी। उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे। उनके शरीर में से जो रक्त के फुब्बारे निकले थे, उसी के नाम पर ही इस स्थान का नाम फुव्वारा पड़ा था। आज भी आगरा कोतवाली के सामने की इस जगह को फुव्वारा के नाम से ही जाना जाता है।
चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि वीर गोकुला के बलिदान वाली इसी जगह पर आगरा के अग्रवंशियों ने महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा स्थापित कर दी है, जबकि आगरा की राजनीति तथा जाटों के सामाजिक संगठन सोए रहे।
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