-मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फार सस्टेनेबल डेलवपमेंट एंड इनोवेशन वर्कशॊप में सैकड़ों पेपर प्रस्तुत हुए
आगरा। सिर्फ शोध में ही नहीं, हर क्षेत्र में मल्टीडिसिप्लिनरी को ध्यान में रखते हुए कार्य करने से सम्भावनाओं को बढ़ाया जा सकता है। वुमन सेफ्टी का गठन भी इसी आधार पर किया जा रहा है, जिसमें पीडित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, कानून, मनोचिकित्सा, महिला पुलिसकर्मी व सिविल सोसायटी को सम्मिलित किया गया है। उम्मीद है इससे अपराधियों को दण्ड देने के साथ पीड़ितों को न्याय दिलाने की चुनौती में प्रसासन को सहयोग मिलेगा।
आगरा की एसीपी सुकन्या शर्मा ने यह बात खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में कही। वे कौशाम्बी फाउंडेशन व डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स एवं डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के संयोजन से आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फॊर सस्टेनेबल डेलवपमेंट एंड इनोवेशन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।
मुख्य वक्ता एडवोकेट दीपक माहेश्वरी ने कहा कि एक विन्डो पर व्यापारी को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराकर आसान व्यापार की दिशा में सरकार को प्रयास करना चाहिए, जिससे आर्थिक लाभ के साथ राष्ट्रीय विकास में बढोत्तरी हो सके।
कार्यक्रम समन्वयक प्रो. सुगम आनन्द ने कहा कि जीवन की प्रक्रिया ही शोध से चलती है। सफल जीवन वही है जो शोधमय हो। शोध की कभी एक दिशा नहीं हो सकती। शोध में सामूहिक प्रयास से दृष्टि प्रखर हो जाती है। शोध के कारण विश्व में तीव्रगामी परिवर्तन हो रहे हैं, जिसमें भारत विशेष योगदान दे रहा है।
कौशाम्बी फाउंडेशन के निदेशक लक्ष्य चौधरी ने सभी अतिथियों को धन्यवाद देते हुए अपनी पूरी टीम को सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं और धन्यवाद दिया।
प्रो. सुगम आनन्द व पीके उप्पल को लाइफ टाइम अटीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. कुशल सिंह, रोहन उप्पल, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. अखिलेश सक्सेना, डॉ. नितिन वाही, विमल मूसाहरी, कित गर्ग, पवन सिंह, तुषार चौधरी, योशिल चौधरी, पुष्पराज खिरवार, मनीष, कृष्णा शर्मा, यतेन्द्र प्रियांशी, कोणल, मन्नत शाक्य, नीतू सिंह, संजय कुमार आदि उपस्थित थे।
950 से अधिक रिसर्च पेपर प्रस्तुत हुए
आगरा। कार्यशाला में 350 ऑफलाइन व 600 से अधिक ऑनलाइन रिसर्च पेपर व 100 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। 8 रिसर्च पेपर व 25 लोगों को बेस्ट पोस्टर का अवार्ड प्रदान किया गया। कार्यशाला में देश भर से लगभग 350 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया।