Agra News: द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजन में 12 श्रद्धालु जोड़ों ने अर्पित की श्रद्धा, शिव–शक्ति के समर्पण भाव का दिव्य अनुष्ठान

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शिव महापुराण कथा के छठे दिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महिमा पर भावपूर्ण व्याख्यान — आचार्य मृदुलकांत शास्त्री बोले, श्रद्धा से स्मरण मात्र से ही दूर होते हैं जन्म–मरण के बंधन

आगरा। सावन के पावन मास में जब वायुमंडल में भक्ति की सुगंध और मंदिर प्रांगण में रुद्रस्वर गूंज रहे हों, तब श्री महाकालेश्वर मंदिर, दयालबाग में आयोजित शिव महापुराण कथा एवं महा रुद्राभिषेक महोत्सव के छठे दिन श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजन का विशेष अनुष्ठान संपन्न हुआ, जिसमें 12 श्रद्धालु जोड़ों ने विधिवत पूजा कर शिव–शक्ति को समर्पण का भाव प्रकट किया।

सुबह महा रुद्राभिषेक और पार्थिव शिवलिंग निर्माण के बाद 12 प्रतीकात्मक ज्योतिर्लिंग स्वरूप स्थापित किए गए, जिनका पूजन–अर्चन विशेष पूजा विधान के अंतर्गत आचार्य मृदुलकांत शास्त्री के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। हर जोड़े को एक–एक ज्योतिर्लिंग की पूजा का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
व्यास पूजन लॉयंस क्लब प्रयास की पूर्व अध्यक्ष एवं माया मित्तल चैरिटेबल ट्रस्ट की अशु मित्तल ने किया। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण कथा जीवन को धर्म, विवेक और कर्तव्य के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है।

उन्होंने संयोजकों को ऐसा भव्य आयोजन करने के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में शांति और आत्मस्मरण का सुंदर माध्यम है।

कथा व्यास आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने श्रद्धालुओं को बताया कि द्वादश ज्योतिर्लिंग, शिव के वे दिव्य स्थल हैं जहां उन्होंने विशेष रूप से भक्तों को दर्शन दिए और उनके जीवन की दिशा बदली। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों का नाम श्रद्धा से स्मरण करता है, उसके समस्त पापों का क्षय हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह बारह रूप दरअसल आत्मा के बारह द्वार हैं, जो परम सत्य की ओर ले जाते हैं।

उन्होंने प्रत्येक ज्योतिर्लिंग सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम और घृष्णेश्वर की उत्पत्ति कथा, स्थान, और विशेषता का विस्तार से वर्णन किया।

आचार्य ने कहा कि जैसे-जैसे हम इन लिंगों का स्मरण करते हैं, हमारा चित्त शिवमय होता जाता है। यह पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मचेतना को जाग्रत करने का माध्यम है।

मुख्य संयोजक आचार्य सुनील वशिष्ठ ने बताया कि द्वादश ज्योतिर्लिंग पूजन का आयोजन भक्तों के भीतर शिव तत्व को सजीव करने का एक प्रयास है।

पूजन के पश्चात मंदिर परिसर “हर हर महादेव”, “जय शिव शंकर” और “ओम् नमः शिवाय” के जयघोषों से गूंज उठा।

पूजन में सुनील वशिष्ठ, सुनील शर्मा, राम चरण शर्मा, नवदीप, प्रशांत मित्तल, विपिन पाराशर, प्रदीप श्रीवास्तव, सुभाष गिरी , देवांशु गुप्ता, कैलाश नाथ द्विवेदी, पवन शर्मा और राजुल शर्मा ने सपत्नीक शामिल हुए।

रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी