आगरा जनपद के थाना पिढौरा क्षेत्र के अंतर्गत गांव जोर में 6 दिन पूर्व सांप काटने से एक संत की मृत्यु के बाद संत के शव को जमीन में दफना कर समाधि दी गई थी। मृत्यु हुए संत के शव को एक बायगीर बाबा द्वारा जिंदा करने का दावा करने की सूचना पर सैकड़ों की संख्या में चमत्कार देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी। किंतु शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस ने शव को जमीन से नहीं निकालने दिया।
आपको बता दें थाना पिढौरा के क्षेत्र के अंतर्गत गांव कांकर के पास स्थित झंगोली वाली माता मंदिर आश्रम बीते करीब 15 वर्षों से एटा निवासी संत राघवानंद जी रह रहे थे। ग्रामीणों के मुताबिक राघवानंद जी संत सांपों को पकड़ने में माहिर और सांप काटने पर जड़ी बूटियों द्वारा इलाज करते थे। बीते करीब 6 दिन पूर्व पास के ही जोर गांव निवासी दौजीराम के घर काला सांप निकलने पर पकडने के दौरान सांप ने संत राघवानंद को काट लिया था जिससे उनकी मौत हो गई थी। ग्रामीणों द्वारा संत के शव को मंदिर परिसर में ही दफनाकर समाधि दी गई थी।
बताया गया है कि राजस्थान के सुंदरगढ़ आश्रम के एक बायगीर बाबा संतोष ब्रह्मचारी ने मृत्यु हुए संत के शव को समाधि से बाहर निकाल कर अपनी विधि द्वारा जिंदा करने का दावा की सूचना पर सैकड़ों की संख्या में झंगोला वाली माता मंदिर आश्रम पर चमत्कार देखने को ग्रामीणों की भीड़ उमड पड़ी।
सुरक्षा दृष्टि को लेकर क्षेत्राधिकारी पिनाहट अमरदीप एवं तहसीलदार बाह सर्वेश कुमार पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। संत को समाधि से निकालने के प्रयास पर पुलिस ने खुदाई करने की अनुमति नही दी। जिस पर पूरा मामला और संत को जिंदा करने का दावा धरा का धरा रह गया।
बतादे कि मृत संत के पिता जसपाल सिह उर्फ प्रकाशानंद ने बताया कि दो दिन पूर्व उन्हे राघवानंद ने सपने में आकर कहा था । कि वो अभी जिंदा है। उन्ही मृत समझकर लोगो ने जमीन मे दफना दिया है। बस इसी को लेकर संत के शव को जमीन से बाहर निकालने के लिये आये है।
वही राजस्थान के सुन्दरगढ स्थित शक्ति आश्रम से बाबा संतोष ब्रह्मचारी मोके पर पहूचे जो संत को जीवित करने के लिये बुलाये गये थे। वहीं पुलिस द्वारा सुरक्षा दृष्टि और शांति व्यवस्था बनाने हेतु ग्रामीणों की भीड़ को मौके से हटाया। मगर देर शाम तक लोगों की भीड़ आश्रम पर टिकी रही कि कहीं संत को जिंदा करने का दावा शायद सच होगा।
रिपोर्टर: नीरज परिहार
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