चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की नजर अब नवंबर और दिसंबर के बीच होने वाले दो महत्वपूर्ण प्रक्षेपण पर हैं। भारत अंतरिक्ष एजेंसी ISRO नवंबर-दिसंबर में कम से कम दो और लॉन्च का लक्ष्य बना रही है। इसमें एक एजेंसी का वर्कहॉर्स, पीएसएलवी और दूसरा GSLV-Mk2 है। इसके अलावा सबसे खास बात है कि धरती के अवलोकन के लिए नासा के साथ मिलकर लॉन्च किया जाने वाला प्रोजेक्ट नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR)। इसरो के लिए जीएसएलवी-एमके2 प्रक्षेपण इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1.5 अरब डॉलर के नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) के लिए लॉन्च व्हीकल है।
NISAR की टेस्टिंग जारी
निसार एक कम पृथ्वी कक्षा (एलईओ) वेधशाला है जिसे नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) और नासा की तरफ से संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। पहली बार, दोनों एजेंसियों ने पृथ्वी-अवलोकन मिशन के लिए उपकरण के विकास पर एक-दूसरे से हाथ मिलाया है।
निसार को अगले साल जनवरी में लॉन्च किया जाना है। फिलहाल NISAR फुल इंटीग्रेटेड टेस्ट से गुजर रहा है। इसमें ऐन्टेना, ध्वनिकी, पूर्ण पैमाने पर टेस्ट आदि शामिल हैं। इसरो चीफ एस. सोमनाथ का कहना है कि हम अगले साल की पहली तिमाही तक लॉन्च के लिए तैयार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक बार लॉन्च होने और इच्छित कक्षा में स्थापित होने के बाद, एनआईएसएआर के विज्ञान संचालन शुरू होने में 90 दिन लगेंगे।
एकीकृत रडार उपकरण संरचना (IRIS) और अंतरिक्ष यान बस पर लगे सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) पेलोड को एक साथ वेधशाला कहा जाता है। वेधशाला 12 दिनों में पूरे विश्व का मानचित्रण करेगी। यह एल और एस डुअल बैंड एसएआर – एल-बैंड और एस में पहला डबल फ्रीक्वेंसी राडार रडार इमेजिंग मिशन ले जाएगा। इसरो के अनुसार, बैंड उच्च दोहराव चक्र, हाई रिज़ॉल्यूशन और बड़े स्वैथ के साथ अंतरिक्ष-जनित एसएआर डेटा प्रदान करने के लिए एक उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहा है।
क्या करेगा NISAR
पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार’ (NISAR) रिसर्चर्स को धरती पर वनों और आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी में बदलावों से वैश्विक कार्बन चक्र पर पड़ने वाले असर तथा जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभावों का पता लगाने में मदद करेगा। निसार राडार उपग्रह मिशन दो प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र– वन और आर्द्रभूमि–में विस्तृत अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। इससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन को संचालित करने वाले वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों को स्वाभाविक रूप से निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
निसार कीअत्याधुनिक रडार प्रणालियां हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की लगभग पूरी जमीन और बर्फ से ढंकी सतह को ‘स्कैन’ करेंगी। नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री के अनुसार इसके जरिये एकत्र किया गया डेटा दोनों तरह के पारिस्थितिक तंत्र के दो प्रमुख कार्यों को समझने में मदद करेगा। इनमें कार्बन को अवशोषित करना और उसे छोड़ना शामिल है।
PSLV से लॉन्च होगा Xposet
इसरो चीफ ने कहा कि पीएसएलवी एक्सपोसैट (Xposet) लॉन्च करेगा। यह साइंटिफिक और कॉमर्शियल पेलोड ले जाने वाला पीओईएम (पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल) भी होगा। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही इन सुविधाओं की घोषणा करेंगे। वहीं, GSLV इनसैट-3डीएस सैटेलाइट लॉन्च करेगा, जो लगभग तैयार है। उन्होंने कहा कि वाइब्रेशन टेस्ट शुक्रवार से शुरू हो चुका है। एक्सपोसैट एक्स्ट्रीम कंडीशन में उज्ज्वल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है। वहीं, इनसैट-3डीएस मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली के हिस्से के रूप में बनाया गया एक मौसम उपग्रह है।
Compiled: up18 News