जयपुर। सचिन पायलट के बाद अब दिव्या मदेरणा ने कानून व्यवस्था के मामले को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा, इसका लाभ उठाते हुए बीजेपी भी उनके समर्थन में आ गई।
कानून व्यवस्था के मुद्दे पर मदेरणा ने विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि ‘मैं खुद ही सुरक्षित नहीं हूं तो क्या बताऊं।’ इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ‘पुलिस की सुरक्षा में मेरे ऊपर हमले हुए लेकिन आरोपियों को आज तक नहीं पकड़ा गया।’ मदेरणा ने पहली बार सवाल नहीं खड़े किए बल्कि कई बार गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ी कर चुकी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वजह क्या है कि दिव्या मदेरणा बागी तेवर में नजर आ रही हैं?
दिव्या मदेरणा ने सरकार पर खड़े किए सवाल
दिव्या मदेरणा के विधानसभा क्षेत्र ओसियां के एक गांव में एक ही परिवार के चार लोगों को हत्या कर जला दिया गया था। इस मामले पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए दिव्या मदेरणा ने कहा कि मेरे ऊपर हमला करने वाले आरोपी अभी तक नहीं पकड़े गए हैं। ओसियां की घटना को विधानसभा में उठाना चाहा तो मुझे बोलने तक नहीं दिया गया। विधानसभा में संगठित अपराधों की रोकथाम के लिए हम बिल लेकर आते हैं, लेकिन उसके दूसरे ही दिन यह घटना सामने आ जाती है। मदेरणा ने आईजी जयनारायण शेर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों को तुरंत फील्ड से हटाकर पुलिस हेडक्वाटर में बैठा देना चाहिए।
मदेरणा पहले भी कई बार गहलोत सरकार के खिलाफ बयान दे चुकी हैं. पिछले दिनों अपने क्षेत्र ओसियां में किसानों के बीच कहा था कि बिजली की आपूर्ति के लिए जीएसएस बना दिया। अब चाहे तो आप आंकुडिया यानी तार डाल कर चोरी कर लेना। इसके अलावा गहलोत और पायलट के बीच चल रही अदावत के बीच भी दिव्या मदेरणा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ खड़ी नजर आईं थी और खुद को कांग्रेस हाईकमान की टीम का सदस्य बताया था। कानून व्यवस्था से विकास के मुद्दे पर सवाल उठा चुकी हैं।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सीएम गहलोत की मदेरणा परिवार की तीसरी पीढ़ी से क्या दुश्मनी हैं. पहले परसराम मदेरणा, उसके बाद महिपाल मदेरणा के साथ क्या हुआ और अब दिव्या मदेरणा के साथ सीएम गहलोत का व्यवहार ठीक नहीं है। दिव्या मदेरणा विधायक हैं और उनके साथ दुश्मनी मुख्यमंत्री न निकालें। इसके साथ बीजेपी ने सूबे की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरा।
राजस्थान की सियासत में मदेरणा परिवार का अपना राजनीतिक कद है। दिव्या मदेरणा के दादा परसराम मदेरणा की कांग्रेस में सियासी तूती बोलती थी।मारवाड़ इलाके के सबसे कद्दावर नेता थे और कांग्रेस के जाट चेहरा माने जाते थे। 1998 विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की रेस में परसराम मदेरणा का नाम सबसे आगे था,लेकिन अशोक गहलोत बाजी मार ले गए थे। इस तरह राजस्थान में जाट समुदाय का मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गया था।
मदेरणा परिवार इस दर्द को अभी तक भुला नहीं पाया है इसलिए पिछले दिनों जब राजस्थान में मुख्यमंत्री कुर्सी को लेकर गहलोत और पायलट के बीच खींचतान चल रही थी तो दिव्या मदेरणा ने बयान दिया था कि 1998 का जनादेश परसराम मदेरणा के नाम पर मिला था और मुख्यमंत्री पद के वो प्रबल दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान के आदेश के पालन के लिए पीछे हट गए थे।
दिव्या मदेरणा के दादा परसराम मदेरणा ही नहीं बल्कि पिता महिपाल मदेरणा के साथ भी सीएम गहलोत के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे थे। गहलोत सरकार के दौरान ही भवंरी देवी मामले में महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार करके जेल में डाला गया था, जिसके चलते मदेरणा परिवार की सियासत प्रभावित हुई। मारवाड़ के इलाके में मदेरणा परिवार का राजनीतिक असर कम हुआ है। मदेरणा परिवार की तीसरी पीढ़ी दिव्या मदेरणा 2018 में विधायक चुनी गईं, लेकिन उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया।
– एजेंसी