लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने धर्मवीर चौधरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. धर्मवीर से पहले इमरान मसूद के खिलाफ भी मायावती ने एक्शन लिया था.
पश्चिमी यूपी के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले इमरान मसूद के बाद बसपा मिशनरी से जुड़े रहे पुराने नेता धर्मवीर चौधरी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. नगीना से सांसद गिरीश चंद्र और मुनकाद अली छोड़कर कोई कद्दावर नेता बसपा में नहीं बचा है. ऐसे में मायावती 2024 की चुनावी जंग में किन मजबूत सिपहसलारों के साथ उतरेंगी.
पश्चिमी यूपी को बसपा का मजबूत गढ़ हुआ करता था. सहारनपुर, बिजनौर और आगारा बसपा की सियासी प्रयोगशाला थी, जहां कांशीराम से लेकर मायावती ने अपना दबदबा बनाए रखा था. बसपा के सत्ता से बाहर होने और मायावती के सियासी तौर पर सक्रिय न होने से पार्टी नेताओं का साथ छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ तो लगातार जारी है. इतना ही नहीं कई पुराने नेताओं को मायावती ने बाहर कर दिया. ऐसे में बसपा के मजबूत गढ़ रहे पश्चिमी यूपी में मायावती किन चेहरे के सहारे अपनी खोई हुई सियासत को बचाकर रख पाएंगी?
बसपा के मुस्लिम नेता छोड़ चुके साथ
मायावती ने दलित-मुस्लिम समीकरण के जरिए पश्चिमी यूपी में बसपा ने अपनी सियासी जमीन को काफी मजबूत बनाए रखा था. 1989 में पहली बार बसपा के 12 विधायक जीतकर आए थे, जिसमें चार मुस्लिम विधायक थे. इसमें दो मुस्लिम विधायक पश्चिमी यूपी के थे, जिनमें बिजनौर की अफजलगढ़ से शेख सुलेमान और मुरादाबाद की ठाकुरद्वार सीट से मोहम्मदउल्ला खान थे. शेख सुलेमान विधायक दल के नेता बनाए थे, लेकिन 2022 के चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर सपा में चले गए. मुजफ्फरनगर में आज की तारीख में एक भी कद्दावर मुस्लिम नेता बसपा में नहीं बचे हैं.