आखिर क्यों सुर्खियों में है राजस्थान के अजमेर में बना ढाई दिन का झोंपड़ा?

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वास्तुकला का नायाब नमूना है ढाई दिन का झोंपड़ा

अमूमन किसी भव्य और ऐतिहासिक इमारत को बनने में कई साल लग जाते हैं लेकिन अजमेर में बनी यह ऐतिहासिक इमारत केवल 60 घंटे यानी ढाई दिन में बनी है। यह इमारत भारतीय मुस्लिम वास्तुकला का नायाब नमूना है। इस इमारत के प्रत्येक कोने में चक्राकार और बांसुरी के आकार की मीनारे निर्मित है। इसका निर्माण 1194 ईस्वी में किया गया। अफगान के सेनापति मोहम्मद गौरी के आदेश पर उनके गवर्नर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण कराया था।

पृथ्वीराज को हराने के बाद गौरी ने किया था कब्जा

इतिहासकारों के मुताबिक मोहम्मद गौरी ने तराईन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था। बाद में मोहम्मद गौरी की सेना ने पृथ्वीराज की राजधानी तारागढ़ अजमेर पर हमला किया था। उन्हीं दिनों अजमेर के संस्कृत विद्यालय को ध्वस्त करके उसे मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।

संस्कृत महाविद्यालय पर हुए मस्जिद निर्माण के सबूत इस ढाई दिन के झोंपड़े पर आज भी देखे जा सकते हैं। झोंपड़े के मुख्य द्वार पर लगे एक शिलालेख में यहां विद्यालय होने का उल्लेख किया गया है। इस मस्जिद यानी ढाई दिन के झोंपड़ के खंभे पुराने हैं जिसकी नक्काशी कहीं से भी इस्लामिक नहीं लग रही जबकि नई बनाई गई दीवारों पर कुरान का आयतें लिखी है।

अंदर से मंदिर जैसा रूप

ढाई दिन का यह झोंपड़ा अंदर से मंदिर की तरह दिखता है। मंदिर के तरह ही खंभे हैं और उनके ऊपर बना गुबंद भी मंदिर के जैसा ही प्रतीत होता है। जब इसे मस्जिद का रूप दिया गया तो खंभों को यथावत रखा गया और थोड़ा जीर्णोद्धार करके इसे नया रूप दिया गया।

बीजेपी सांसद के बयान के बाद चर्चा

जयपुर के बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने ढाई दिन के झोपड़े को लेकर एक बयान दिया है। 8 जनवरी को जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस पर बोहरा ने कहा था कि अब वह दिन दूर नहीं जब अजमेर के ढाई दिन के झोपड़े में भी संस्कृत के मंत्रों का पाठ किया जाएगा। इस बयान के बाद पूरे प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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