आखिर क्यों जापान के इस मंदिर का नाम लेने से भी तनाव में आ जाते हैं चीन और दक्षिण कोरिया?

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राजा ने की मंदिर से तौबा

जापान के राजा हिरोहिता ने आठ बार इस मंदिर का दौरा किया। सन् 1975 में वो आखिरी बार यहां गए थे। उनका कहना था कि लोगों की नाखुशी के चलते अब वो इस मंदिर में नहीं जाएंगे। वहीं उनके बेटे अकिहितो कभी यहां नहीं गए और न ही वर्तमान राजा नरुहितो ने मंदिर का दौरा किया है। अकिहितो साल 1989 में राजा बने थे और 2019 तक वो देश के राजा रहे। साल 2013 के बाद से जापान के किसी भी प्रधानमंत्री ने इस मंदिर का दौरा नहीं किया है। साल 2013 में तत्‍कालीन पीएम आबे ने यहां का दौरा किया था। उनके इस दौरे के बाद से जहां चीन और बीजिंग का गुस्‍सा सांतवें आसमान पर था तो करीबी साथी अमेरिका ने भी जापान की निंदा की थी।

अमेरिका के इस कदम से जापान भौचक्‍का रह गया था। पिछले साल अक्‍टूबर में प्रधानमंत्री पद संभालने वाले फुमियो किशिदा ने मंदिर के नाम पर पारंपरिक तौर पर कुछ रकम दान में दी है। हाल के कुछ महीनों में किशिदा ने दक्षिण कोरिया के साथ अच्‍छे संबंधों की अपील की है। उन्‍होंने कहा था कि दोनों देशों के पास इस समय बर्बाद करने के लिए समय नहीं बचा है और युद्ध से जुड़े मसलों को सुलझाकर संबंधों को बेहतर करना ही होगा।

-एजेंसी


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