प्रेस स्वतंत्रता के शिकारी: आखिर अडानी को इस तरह से मीडिया पर कब्जा करने की क्या जरूरत पड़ गई ?

Cover Story अन्तर्द्वन्द

महज पांच महीने पहले 26 अप्रैल को गौतम अदानी एक कंपनी AMG Media Networks के गठन की घोषणा करते हैं और अगले महीने ही वह शिकार करते हैं राघव बहल का……

मई के मध्य में ही अदानी जी राघव बहल द्वारा संचालित डिजिटल बिजनेस न्यूज प्लेटफॉर्म क्विंटिलियन बिजनेस मीडिया में 49 फीसदी की हिस्सेदारी खरीद लेते हैं
द क्विंट एक अंग्रेजी और हिंदी पोर्टल है। जिसका संचालन क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड करता है। यह पोर्टल इंडियन इकोनाॅमी, इंटरनेशनल फाइनेंस, कॉर्पोरेट कानून और शासन समेत अनेक विषयों पर पर अपनी निष्पक्ष न्यूज़ देने के लिए जाना जाता था

लेकिन अडानी का क्विट को खरीदना उनका पहला शिकार नही था कुछ साल पहले वह EPW नाम के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी जर्नल के संपादक के पद पर बैठे प्रंजॉय गुहा ठाकुरता का शिकार कर चुके थे

दरअसल परंजय ने ईपीडब्ल्यू में दो खबरे छापी थी पहली थी क्या अडानी समूह ने 1000 करोड़ रुपये के कर की चोरी की? (प्रकाशन तिथि- 14 जनवरी, 2017) और दूसरी थी मोदी सरकार द्वारा अडानी समूह को 500 करोड़ रुपये का फायदा (प्रकाशन तिथि- 24 जून, 2017)

इन दोनो खबरों के छपने से अडानी इतने नाराज हुए कि जर्नल के मालिकों पर उन्होंने मानहानि के भारी भरकम दावे ठोकने की धमकी दी, घबराए मालिको ने ट्रस्ट की बैठक बुलाई और लेख हटाने का फैसला कर लिया। इधर लेख हटाने का फैसला हुआ और उधर छापनेवाले संपादक प्रंजॉय गुहा ठाकुरता ने इस्तीफा दे दिया।

कल गौतम अदानी ने एनडीटीवी का शिकार किया है

दरअसल एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय ने वर्ष 2008 में एक नई कंपनी-आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड बनाई थी और ‘इंडिया बुल्स’ से 501 करोड़ रुपए का कर्ज़ लिया. था फिर इसी कंपनी के ज़रिये उन्होंने एनडीटीवी के बहुत सारे शेयरों को ख़रीदा. ‘इंडियाबुल्स’ के कर्ज़ को चुकाने के लिए ‘आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड’ ने आईसीआईसीआई बैंक से 375 करोड़ रुपए का ऋण लिया जिसकी ब्याज दर 19 प्रतिशत तय किया गया. यह बात अक्टूबर 2008 की है. अगस्त 2009 में ‘आरआरपीआर होल्डिंग्ज़ प्राइवेट लिमिटेड’ को एक और कंपनी – विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड – मिल गई जिसने आईसीआईसीआई का लोन चुकाने के लिए सहमति भर ली.
लोन की शर्त यह थी कि न चुकाने पर 350 करोड़ और ब्याज़ मिलाकर इक्विटी में बदल जायेगा।

यही पर प्रणय रॉय के साथ गेम हो गया

कल पता चला कि अदानी ने विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को ही खरीद लिया और इसके बूते वह 29 फीसदी के मालिक बन बैठे हैं अडानी कंट्रोलिंग स्टेक के लिए एनडीटीवी में 26 फीसदी हिस्सेदारी और खरीद रहे हैं इस हिस्सेदारी को खरीदने के लिए अदाणी समूह करीब 493 करोड़ रुपये खर्च करेगा। इसके लिए कंपनी ने मंगलदास अमरचंद को नियुक्त कर दिया है

आखिर अडानी इस तरह से मीडिया पर कब्जा करने की क्या जरूरत पड़ गई ?

दरअसल अडानी को अपने विरुद्ध आने वाली खबरों को दबाना है और 2024 के चुनाव में माहौल मोदी के पक्ष में बनाना है कल इंटर नेशनल एजेंसी Fitch ने भी अडानी समूह की तरक्की पर सवाल खड़े किए हैं।

Fitch रेटिंग्स की क्रेडिटसाइट्स ने कल अडानी समूह को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में अडानी समूह के आक्रामक विस्तार के अलावा कर्ज और कैश फ्लो को लेकर चिंता जाहिर की गई है। इस रिपोर्ट में अडानी समूह के नए और असंबंधित व्यवसायों में प्रवेश करने पर भी चिंता जाहिर की गई है। क्रेडिटसाइट्स के विश्लेषकों का मानना है कि अडानी समूह के बैंकों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशासन के साथ मजबूत संबंध हैं और इस वजह से समूह को फायदा हो रहा है

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांसीसी मीडिया वॉचडॉग रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर (आरएसएफ) द्वारा “प्रेस स्वतंत्रता के शिकारियों” होने के आरोप में 37 राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों की सूची में टॉप पर नामित किया था….. यह सारा खेल उन्ही के निर्देशन में चल रहा है

-गिरीश मालवीय ( लेखक स्वतन्त्र पत्रकार व विचारक है )


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