अफगानिस्तान में तालिबान ने मानवाधिकार आयोग सहित अमेरिका समर्थित पांच प्रमुख विभागों को खत्म कर दिया है। तालिबान ने वित्तीय संकट की स्थिति के कारण इन विभागों को भंग कर दिया है। तालिबान अधिकारियों ने बजट की घोषणा करते हुए बताया कि अफगानिस्तान को इस वित्तीय वर्ष 501 मिलियन डॉलर करीब 38 अरब रुपए के बजट घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता इन्नामुल्लाह समांगानी ने कहा, ‘क्योंकि ये विभाग आवश्यक नहीं हैं और बजट में शामिल नहीं किया गया था इसलिए इन्हें भंग कर दिया गया है।’ इसके अलावा तालिबान ने राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (HCNR), राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और अफगानिस्तान के संविधान के कार्यान्वयन की देखरेख से जुड़े आयोग को भी खत्म कर दिया।
20 साल बाद अमेरिकी फौज ने छोड़ा अफगानिस्तान
HCNR का नेतृत्व आखिरी बार अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने किया था। ये परिषद अमेरिका के समर्थन से चल रही पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता का काम कर रहा था। 2021 में 20 सालों के बाद अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से निकल गई, जिसके बाद देश पर अगस्त में तालिबान ने कब्जा कर लिया।
फिर से शुरू किए जा सकते हैं विभाग
इन्नामुल्लाह समांगानी ने कहा कि बजट सिर्फ जरूरी चीजों के लिए था। बजट में सिर्फ वे विभाग शामिल हुए हैं जो सक्रिय और प्रोडक्टिव थे। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो इन विभागों को फिर शुरू किया जा सकता है। 1996 से 2001 तक तालिबान का अफगानिस्तान पर शासन था। तालिबान का शासन इतना सख्त था कि इन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके बाहर निकलने पर पाबंदी लगा रखी थी। इस बार तालिबान ने सत्ता संभालते समय कहा था कि उसका नया शासन काफी हद तक संतुलित होगा।
-एजेंसियां
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