श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की स्थिति की घोषणा की है. रविवार को एक सरकारी नोटिस में इसकी घोषणा की गई.
श्रीलंका में जारी प्रदर्शन और समाजिक अशांति को शांत करने की कोशिश की जा रही है. श्रीलंका मौजूदा समय में आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है- “ऐसा करना जनता के हित में है, पब्लिक ऑर्डर को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है और इसलिए भी ताकि स्पलाई और ज़रूरी सेवाओं के रख-रखाव को कायम किया जा सके.”
श्रीलंका से जुड़ी बुनियादी बातें
दक्षिण भारत की तरफ़ श्रीलंका एक द्विपीय देश है:1948 में श्रीलंका ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ था. यहाँ तीन नस्ली समूह हैं- सिंहला, तमिल और मुस्लिम. 2.2 करोड़ की आबादी वाले देश में ये तीनों समुदाय 99 फ़ीसदी हैं.
सालों से एक ही परिवार के भाइयों का प्रभुत्व:
तमिल अलगाववादी विद्रोहियों और सरकार के बीच सालों के ख़ूनी गृहयुद्ध का अंत 2009 में हुआ था. महिंदा राजपक्षे तब बहुसंख्यक सिंहला लोगों के बीच इस गृह युद्ध को ख़त्म कराने के मामले में नायक की तरह उभरे थे. उस दौरान महिंदा राजपक्षे के भाई गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के रक्षामंत्री थे अब राष्ट्रपति के तौर पर गोटाबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा है.
राष्ट्रपति की शक्तियां: श्रीलंका में राष्ट्रपति मुल्क, सरकार और सेना का मुखिया होता है लेकिन कई तरह की शक्तियां प्रधानमंत्री के साथ साझी होती हैं. प्रधानमंत्री संसद में सत्ताधारी पार्टी का मुखिया होता है.
आर्थिक संकट के कारण सड़क पर लोग: खाने-पीने के सामान, दवाइयां और ईंधन की आपूर्ति न के बराबर है और महंगाई सातवें आसमान पर. आम आदमी ग़ुस्से में सरकार के ख़िलाफ़ सड़क पर है. श्रीलंका के लोग आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को ज़िम्मेदार मान रहे हैं.
-एजेंसी