आपबीती: चीन इन्हें इलेक्ट्रिक चेयर से बांधता है, ड्रग देता है, भूखे रखता है और ऑफिसर्स करते हैं महिलाओं का बलात्कार

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‘आधी रात के बाद वे हमारे सेल में आते। किसी लड़की को पसंद करते और ब्लैक रूम में ले जाते। इस रूम में कोई कैमरा नहीं होता था।’ चीन से भागकर अमेरिका में रह रहीं तुर्सुने जियावुडुन एक इंटरव्यू में यह आपबीती बताती हैं। वे आगे कहती हैं कि हर रात लड़कियों को उनके सेल से निकाल कर ले जाया जाता।

एक या ज्यादा मास्क पहने हुए चीनी सैनिक उनका बलात्कार करते। तीन अलग-अलग मौकों पर तीन-चार लोगों ने जियावुडुन के साथ गैंग-रेप किया।

यह सब उनके साथ इसलिए हुआ, क्योंकि वे उइगर मुसलमान हैं। जियावुडुन के पति कजाकिस्तान से हैं। वे दोनों 5 साल यहां रहकर 2016 में शिनजियांग लौटे। उनके आने पर उनसे पूछताछ हुई। उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए। कुछ महीनों बाद पुलिस ने उन्हें एक मीटिंग में जाने के लिए कहा। यहां उन्हीं की तरह और भी उइगर मुसलमान और कजाकी लोग थे। इन लोगों को यहां गिरफ्तार कर डिटेंशन कैंपों में भेज दिया गया।
इसके कुछ दिनों बाद उन्हें छोड़ दिया गया। उनके पति का पासपोर्ट भी वापस कर दिया गया। वो वापस कजाकिस्तान चले गए, लेकिन जियावुडुन को पासपोर्ट नहीं मिला। 9 मार्च 2018 को उन्हें एक बार फिर पुलिस स्टेशन बुलाया गया। उनसे कहा कि उन्हें और पढ़ाई की जरूरत है। इसके बाद वे एक बार फिर कुंस काउंटी के उसी डिटेंशन कैंप में पहुंच गईं, जहां पहली बार उन्हें गिरफ्तार कर के रखा गया था।

डिटेंशन कैंपों में इन 7 तरीकों से होती है क्रूरता

1. मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और डिटेंशन रखना

चीन के शिनजियांग इलाके में बड़े स्तर पर लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है। यहां उइगर मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है। इन लोगों को हाई-सिक्योरिटी फैसिलिटीज यानी डिटेंशन कैंपों में रखा जाता है। ये कब तक यहां रहेंगे, इसकी कोई तय समय नहीं है।

चीन की सरकार आतंकी होने के शक पर लोगों को गिरफ्तार करती है। इसके पीछे वैसे तो कोई तर्क नहीं होता, लेकिन कारण कुछ भी हो सकता है। बुर्का पहनने से लेकर दाढ़ी रखने तक, पासपोर्ट इस्तेमाल नहीं करने से ज्यादा बच्चे पैदा करने तक कुछ भी आपकी गिरफ्तारी का कारण बन सकता है।

2. डिटेंशन कैंपों में होने वाले अत्याचार

चीन इन कैंपों को वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर्स (VETCs) कहता है। उसका कहना है कि वो इन्हें कट्टरपंथियों के लिए चलाता है। 2019 में चीनी सरकार ने कहा था कि ये कैंप मामूली केसों में शामिल अपराधियों के लिए पुनर्वास केंद्र हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘आतंकवाद के गंभीर या मामूली केसों और चरमपंथी कामों में कोई खास अंतर नहीं हैं। दोनों ही केसों में आरोपियों के साथ अक्सर एक जैसा व्यवहार किया जाता है। रिपोर्ट ने इस तरह के डिटेंशन कैंपों में बलात्कार और यौन शोषण के आरोपों को सही पाया है।’

3. टाइगर चेयर

संयुक्त राष्ट्र ने इस रिपोर्ट के लिए इन कैंपों में बंद रहे कई लोगों का इंटरव्यू किया। यहां उनके साथ हुई चौंकाने वाली घटनाएं लोगों ने बताई हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें ‘टाइगर चेयर’ पर बांधकर इलेक्ट्रिक बैटन यानी बिजली के डंडों से पीटा गया।

लोगों ने यह भी बताया कि बिजली के डंडों से पीटने के दौरान उन पर पानी भी फेंका गया। उन्हें लंबे समय तक अकेले रखा गया। घंटों तक छोटे स्टूलों पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। दो तिहाई से ज्यादा लोगों ने कहा कि डिटेंशन कैंपों में भेजने से पहले उन्हें पुलिस स्टेशनों में बंद रखा गया। यहां उन्हें टाइगर चेयर्स पर बांधकर पीटा गया।

4. लगातार नजर रखा जाना

संयुक्त राष्ट्र को लोगों ने बताया कि उनके सेल में 24 घंटे लाइट जली रहती थी। इससे उन्हें सोने में दिक्कत होती थी और उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी। उन्हें पूजा करने और अपने धार्मिक नियमों को मानने की मनाही थी। वे अपनी भाषा में बात भी नहीं कर सकते थे। इसके अलावा उन्हें ‘रेड सॉन्ग’ गाने और याद करने के लिए मजबूर किया जाता था। यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA की तारीफ करने वाला गीत है।

5. डिटेंशन कैंपों में लोगों को खाना नहीं ड्रग दिए जाते हैं

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि चीन के इन डिटेंशन कैंपों में लोगों को भरपेट खाना नहीं दिया जाता था। उन्हें लगातार भूखा रखा जाता था। इसके चलते यहां रहने के दौरान वे बेहद कमजोर हो जाते हैं। लोगों को यहां इंजेक्शन या गोलियों के जरिए ड्रग्स दिए जाते थे, जिसे खाने के बाद उन्हें बहुत सुस्ती महसूस होती और नींद आती थी।

6. यौन शोषण

इन कैंपों में महिलाओं ने यौन शोषण और बलात्कार की बात भी अपने इंटरव्यू में कही है। उन्होंने बताया कि कैंप के गार्ड पूछताछ के दौरान ओरल सेक्स करने के लिए उन्हें मजबूर करते थे। उनके कपड़े उतारने के लिए जबरदस्ती की जाती। इन कैंपों में महिलाओं के जबरदस्ती गायनेकोलॉजिकल टेस्ट किए जाते। एक महिला ने अपने इंटरव्यू में कहा कि ये टेस्ट सभी लोगों के सामने किए जाते थे। लोगों के सामने उनके साथ यौन शोषण किया जाता था।

7. मेंटल टॉर्चर

लोगों के यहां रहने का कोई समय तय नहीं है। हालांकि ज्यादातर लोग औसतन 18 महीने यहां बंद रहते हैं। उन्हें अपने परिवार से बात नहीं करने दी जाती। वो बाहर की दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं। रिपोर्ट कहती है कि लोगों ने इन कैंपों को साइकोलॉजिकल टॉर्चर कहा है। यहां की स्थिति को देखते हुए लोग डर जाते हैं। उन्हें पता नहीं होता कि उनके साथ ये सब क्यों हो रहा है? वो कब तक यहां रहेंगे?

चीन ने रिपोर्ट को अमेरिका और पश्चिमी देशों की साजिश बताया

चीन पर सालों से 10 लाख से भी ज्यादा उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखने का इल्जाम लगता रहा है। वहीं राजधानी बीजिंग ने हमेशा इन्हें नकारा है। चीन का दावा है कि वो चरमपंथियों के लिए इस तरह के वोकेशनल सेंटर चला रहा है।

चीन ने हर बार की तरह एक बार फिर इन आरोपों को झूठा बताया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘तथाकथित जरूरी रिपोर्ट अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों ने बनाई है। ये पूरी तरह से गैरकानूनी और बेकार है।’

-एजेंसी