अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 33 करोड़ डॉलर यानी लगभग 26 अरब रुपये के बने एक अंतरिक्ष यान को जानबूझकर एक उल्कापिंड से टकराया जाएगा. 26 सितंबर को कराई जाने वाली इस टक्कर का मकसद उल्कापिंड का रास्ता बदलना होगा.
अपनी तरह के पहले अंतरिक्षीय अभियान में नासा के एक विशेष यान को एक उल्कापिंड ये टकराया जाएगा. अगले हफ्ते होने वाली यह टक्कर विशाल पैमाने पर पहली बार किया जा रहा एक प्रयोग जिसके जरिए भविष्य में आने वाली ऐसी किसी आपदा से पृथ्वी को बचाने की संभावनाएं आंकी जा रही हैं.
डबल एस्ट्रॉयड रीडाइरेक्शन टेस्ट यानी डार्ट (DART) नाम के इस अभियान के जरिए अंतरिक्ष विज्ञानी यह सीखना चाहते हैं कि अगर कोई उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने के लिए इस ओर बढ़ रहा है तो उसका रास्ता बदला जा सकता है या नहीं.
डार्ट यह जानने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा कि किसी अंतरिक्ष यान की टक्कर क्या वाकई उल्कापिंड का रास्ता बदलने में कामयाब हो सकती है. ऐसे दृश्य और कल्पनाएं कई बार हॉलीवुड फिल्मों में देखी जा चुकी हैं. हाल ही में आई फिल्म डोंट लुक अप या फिर कई साल पहले आई फिल्म आर्मागैडन में फिल्मकारों ने ऐसी ही कल्पनाएं की थीं.
कौन सा उल्कापिंड टकराएगा?
इस अभियान के लिए वैज्ञानिकों ने डाईमॉरफोस नामक एक उल्कापिंड को चुना है. इसे मूनलेट यानी नन्हा चांद भी कहा जाता है. यह पृथ्वी के नजदीक ही एक अन्य विशाल उल्कापिंड डिडायमॉस नामक उल्कापिंड का चक्कर लगा रहा है.
नासा के वैज्ञानिकों ने कहा है कि पृथ्वी के नजदीक यानी लगभग 5 करोड़ किलोमीटर के दायरे में मौजूद उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के खतरे आंकलन का उनका मुख्य लक्ष्य है. डायमॉरफस का व्यास लगभग 160 मीटर है. अंतरिक्ष में अब तक नासा ने जितनी चीजों से टकराने की कोशिश की है, यह उनमें सबसे छोटा है.
डिडायमॉस का व्यास 780 मीटर है. इसका नाम ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है जुड़वां. ये नाम इस बात का प्रतीक है कि कैसे उल्कापिंड जोड़ी बनाकर रहते हैं.
कब होगी टक्कर?
नासा का कहना है कि अमेरिकी समयानुसार सोमवार 26 सितंबर को शाम 7.14 बजे यानी भारतीय समय के मुताबिक मंगलवार सुबह 4.44 बजे इस अद्भुत घटना के होने की संभावना है. इस टक्कर के लिए विशेष अंतरिक्ष यान दस महीने से यात्रा पर निकला हुआ है.उसके सोलर पैनलों को ना जोड़ें तो उसका आकार एक छोटी कार जितना है.
जॉन हॉपकिंस अप्लाइड फिजिक्स लैब में अंतरिक्ष अभियानों के प्रमुख बॉबी ब्राउन ने पत्रकारों को बताया, “यह मानवता का पहला ग्रह-सुरक्षा परीक्षण है. इसमें जो कुछ भी हो रहा है वह सब एक परीक्षण है. इसे बहुत सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. इस उल्कापिंड के धरती की ओर आने की संभावना शून्य प्रतिशत है. इसलिए हमारे वैज्ञानिक दल के लिए, इंजीनियरों के लिए और उनके लिए भी परीक्षण की ये आदर्श परिस्थितियां हैं, जो इस अभियान के जरिए अपनी समझ को बढ़ाना चाहते हैं.”
जिस दिन यह टक्कर होगी, उस दिन इटली स्पेस एजेंसी का एक छोटा उपग्रह घटना की तस्वीरें खींचेगा और वैज्ञानिकों को भेजेगा. यह उपग्रह एक अटैची जितने आकार है और डार्ट अंतरिक्ष यान के पीछे-पीछे चल रहा है. जब यह टक्कर होगी तब उल्कांपिड पृथ्वी से 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर होंगे.
टक्कर के बाद क्या होगा?
वैज्ञानिकों की योजना है कि डार्ट को जितनी शक्ति से संभव हो, डायमॉरफस से टकराया जाए ताकि उसका रास्ता बदल जाए. उसके बाद वे पृथ्वी पर मौजूद शक्तिशाली टेलीस्कोप की मदद से उसके बदले हुए रास्ते का अध्यन करेंगे.
वैज्ञानिक देखेंगे कि डायमॉरफस का रास्ता बदला या नहीं और बदला तो कितना बदला. नासा पहले कई बार ऐसी आशंकाएं जता चुकी है कि कोई आकाशीय पिंड जैसे उल्कापिंड या धूमकेतू पृथ्वी से टकरा सकता है. हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि कम से कम अगले सौ साल तक ऐसा होने का कोई खतरा नहीं है.
– एजेंसी