गजल गायक जगजीत सिंह की पुण्यतिथि आज, पिता से विरासत में मिला था संगीत

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हिंदी, उर्दू, पंजाबी, भोजपुरी सहित कई जबानों में गाने वाले जगजीत सिंह को साल 2003 में भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मभूषण से नवाज़ा गया।

जीवन परिचय

जगजीत सिंह के पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे। जगजीत जी का परिवार मूलतः पंजाब के रोपड़ ज़िले के दल्ला गाँव का रहने वाला है। माँ बच्चन कौर पंजाब के ही समरल्ला के उट्टालन गाँव की रहने वाली थीं।

शिक्षा

जगजीत सिंह की शुरुआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और बाद पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया।

संगीत की शुरुआत

बचपन में अपने पिता से संगीत विरासत में मिला। गंगानगर मे ही पंड़ित छगन लाल शर्मा के सान्निध्य में दो साल तक शास्त्रीय संगीत सीखने की शुरुआत की। आगे जाकर सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखीं। पिता की ख़्वाहिश थी कि उनका बेटा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाए लेकिन जगजीत पर गायक बनने की धुन सवार थी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान संगीत मे उनकी दिलचस्पी देखकर कुलपति प्रोफ़ेसर सूरजभान ने जगजीत सिंह जी को काफ़ी उत्साहित किया। उनके ही कहने पर वे 1965 में मुंबई आ गए।

चिट्ठी न कोई संदेश…, कोई फरियाद… जगजीत सिंह गजल की दुनिया में वो आवाज हैं, जिन्‍होंने इस विधा को सबसे पॉपुलर बनाया। जगजीत को यह श्रेय जाता है कि उन्‍होंने युवाओं को गजल की दुनिया से जोड़ा।

हारमोनियम और तबले से आगे बढ़कर उन्‍होंने गजल में आज के म्‍यूजिकल इंस्‍ट्रूमेंट्स का साथ लिया। यही कारण है कि उनके गाये हुए गजल गीतों में शायर भले ही कई थे, लेकिन जगजीत एक ही थे। उन्होंने हर गजल को जैसे खुद जीया और फिर गाया हो। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी गायि‍की का जादू आज भी बरकरार है।

-एजेंसी