सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उसकी कार्यवाही के सीधे-प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) के लिए उसका अपना प्लेटफ़ॉर्म होगा और इस उद्देश्य के लिए ‘यूट्यूब’ का उपयोग अस्थायी है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह बात उस समय कही जब भाजपा के पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य के वकील ने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत की कार्यवाही का ‘कॉपीराइट’ यूट्यूब जैसे निजी मंच को नहीं सौंपा जा सकता है।
वकील विराग गुप्ता ने पीठ को बताया, “यूट्यूब ने स्पष्ट रूप से वेबकास्ट के लिये कॉपीराइट की मांग की है।”
पीठ में न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।
सीजेआई ने कहा, “यह शुरुआती चरण है। निश्चित रूप से हमारा अपना मंच होगा…हम इसका (कॉपीराइट मुद्दे का) ध्यान रखेंगे।” इसके साथ ही पीठ ने गोविंदाचार्य की अंतरिम याचिका पर सुनवाई के लिये 17 अक्टूबर की तारीख तय की।
वकील ने 2018 के एक फैसले का संदर्भ देते हुए कहा कि यह माना गया था कि “इस अदालत में दर्ज और प्रसारित सभी सामग्री पर कॉपीराइट केवल इस अदालत के पास होगा”।
उन्होंने यूट्यूब के उपयोग की शर्तों का भी उल्लेख किया और कहा कि इस निजी मंच को भी कॉपीराइट प्राप्त है।
सीजेआई की अध्यक्षता में हाल ही में पूर्ण अदालत की बैठक में लिए गए सर्वसम्मत निर्णय में, शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर से सभी संविधान पीठ की सुनवाई की कार्यवाही को सीधे प्रसारित करने का फैसला किया। यह फैसला इस संबंध में 2018 में एक फैसला सुनाए जाने के लगभग चार साल बाद आया।
सूत्रों ने कहा था कि शीर्ष अदालत यूट्यूब के माध्यम से कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर सकती है और बाद में उन्हें अपने सर्वर पर जारी कर सकती है। लोग उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही को अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर बिना किसी बाधा के देख सकते हैं।
अपनी स्थापना के बाद पहली बार 26 अगस्त को न्यायालय ने एक वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया। यह एक औपचारिक कार्यवाही थी क्योंकि उस दिन न्यायमूर्ति रमण सेवानिवृत्त हो रहे थे।
-एजेंसी