चुनावी रणनीतिकार से सियासत में उतने की तैयारी कर रहे प्रशांत किशोर ने नीतीश और तेजस्वी पर धुआंधार अटैक किया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव की पहचान लालू यादव के बेटे से ज्यादा कुछ भी नहीं है। नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट शराबबंदी कानून को भी पीके ने आड़े हाथों लिया। साथ ही बताया कि उन्होंने नीतीश कुमार के ऑफर को ठुकरा दिया है, वो अपने मिशन से टस से मस नहीं हुए हैं।
पांच महीने से बिहार को मथ रहे प्रशांत किशोर
कांग्रेस से डील नहीं होने के बाद प्रशांत किशोर ने पांच मई को पटना में जनसुराज की घोषणा की थी, तब से वो बिहार के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं। लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं। दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन जनसुराज यात्रा की शुरुआत करेंगे। इससे पहले वो बिहार में सियासी बयानबाजी के केंद्र में आ गए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने शराबबंदी कानून, नीतीश कुमार के ऑफर और तेजस्वी पर अपना विचार व्यक्त किया।
शराबबंदी कानून को रद्द करने के पक्ष में हूं
अप्रैल 2016 में लागू किए गए शराबबंदी कानून को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि ‘मेरा शराबबंदी से कोई लेना-देना नहीं था। मेरी जिम्मेदारी केवल ‘सात निश्चय’ (राज्य सरकार के सात संकल्प) के साथ थी। निषेध एक शुद्ध राजनीतिक प्रयोग है। मैं शुरू से ही इसके खिलाफ रहा हूं। शराबबंदी से मेरी कुछ बुनियादी असहमति है।
पहला, महात्मा गांधी ने कभी भी राज्य के नेतृत्व वाली शराबबंदी के बारे में बात नहीं की। इस प्रकार यदि नीतीश जी कहते हैं कि गांधीजी ने शराबबंदी की बात की है, तो या तो वे झूठ बोल रहे हैं या उन्हें गलत सूचना दी गई है। दूसरे, राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के पीछे शराबबंदी सबसे बड़े कारकों में से एक रही है।
सरकार की पूरी अभियोजन और प्रशासनिक शाखा शराबबंदी लागू करने में लगी हुई है, जिससे इसका नियमित कामकाज प्रभावित हुआ है। मैं शराबबंदी कानून को पूरी तरह से रद्द करने के पक्ष में हूं क्योंकि यह लागू करने योग्य नहीं है और इससे राजस्व का नुकसान हुआ है और शराब माफिया का उदय हुआ है।’
नीतीश के ऑफर को मैंने दो बार ठुकराया
हाल ही में प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से मुलाकात हुई थी, उस पर पीके ने कहा कि ‘उन्होंने मुझे प्रस्ताव दिए लेकिन मैंने मना कर दिया। मैंने मार्च में और दो दिन पहले भी उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने दोनों बार एक ही पेशकश की थी- मेरे साथ आओ और चीजें चलाओ, लेकिन मैंने मना कर दिया।’
PK ने कहा कि ‘ये सच है कि हमारे बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं और वह मेरे लिए एक पिता तुल्य हैं। हालांकि, व्यक्तिगत संबंध राजनीतिक कार्यों से पूरी तरह से अलग हैं। हमारी बातचीत राजनीतिक हो सकती है, लेकिन मैं उनके किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर रहा हूं। मैंने जो सार्वजनिक रूप से घोषणा की है, उससे एक इंच भी विचलित होने का सवाल ही नहीं है, चाहे कुछ भी हो जाए।’
लालू के बेटे होने की वजह से तेजस्वी डेप्युटी सीएम
लालू यादव के सियासी वारिस और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर अपने नजरिए को भी प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया। उन्होंने साफ-साफ कहा कि ‘मेरे लिए तेजस्वी की पहचान उनके लालू के बेटे होने से ज्यादा कुछ नहीं है। वह अपनी पार्टी के नेता या राज्य के उपमुख्यमंत्री सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि वह लालू के बेटे हैं। उन्होंने क्या काम किया है कि मैं उनका विश्लेषण या आंकलन करूं।’
-एजेंसी
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