कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी के सारे रिश्तेदारों से प्रॉपर्टी का ब्यौरा मांगा

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मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि याचिका स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता तरुणज्योति तिवारी, एक वकील होने के अलावा भारतीय जनता पार्टी के एक सक्रिय सदस्य भी हैं और इसलिए उनकी याचिका राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने तरुणज्योति की याचिका खारिज करने की मांग की लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं।

ममता और अभिषेक का नाम नहीं

हालांकि तरुणज्योति तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका में ममता बनर्जी या उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का नाम शामिल नहीं है। इन दोनों को छोड़कर ममता के परिवार के अन्य लोगों की संपत्ति का ब्यौरा मांगा गया है।

ममता की भाभी का आया नाम

तिवारी ने अपने तर्क में कहा कि मुख्यमंत्री की भाभी काजोरी बनर्जी कोलकाता नगर निगम की पार्षद हैं। उन्होंने बिजनेस और सामाजिक कार्य दोनों को अपना प्रफेशन बताया है। तिवारी ने तर्क दिया कि जनहित याचिका का उद्देश्य उनकी आय का सही स्रोत जानना है।

28 नवंबर को होगी सुनवाई

दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने दोनों पक्षों को 11 नवंबर तक जनहित याचिका की स्वीकार्यता पर अपनी-अपनी दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई की अगली तारीख 28 नवंबर तय की गई है।

ममता ने पीआईएल पर दी थी सफाई

जनहित याचिका दायर होने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने 31 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन में इस मामले पर कुछ टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोई उसके नाम या उसके परिवार के सदस्यों के नाम पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाली किसी संपत्ति का पता लगा सकता है तो उस व्यक्ति को बुलडोजर का उपयोग करके संपत्ति को ध्वस्त करने की स्वतंत्रता होगी।

ममता ने कहा था कि इसके लिए मेरी अनुमति की भी आवश्यकता नहीं होगी। मैंने मुख्य सचिव से इस मामले में स्वतंत्र जांच करने के लिए कहा है। यदि मेरे परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ अवैध रूप से सरकारी भूमि पर कब्जा करने का एक भी आरोप है तो संबंधित परिवार के सदस्य इसका जवाबदेह होगा।

बनर्जी ने यह भी कहा था कि वह अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नहीं रहती हैं। उन्होंने कहा था कि वह एकल परिवार इकाइयों की तरह अलग रहते हैं। हम सामाजिक अवसरों पर बस मिलते हैं।

-एजेंसी


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