डॉन अख़बार के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इमरान ख़ान की पार्टी को क्रिकेट मैच के ज़रिए पैसे मिलने वाली रिपोर्ट का हवाला देते हुए इमरान ख़ान पर निशाना साधा है.
लंदन के एक प्रमुख अख़बार फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी को ब्रिटेन से 21 लाख डॉलर ट्रांसफ़र किए गए थे.
अख़बार के अनुसार ब्रिटेन में टी-20 चैरिटी मैच करवाए गए और उससे होने वाली आमदनी को पीटीआई के बैंक खाते में ट्रांसफ़र कर दिया गया.
अख़बार का दावा है कि यूएई के एक मंत्री ने भी इमरान ख़ान की पार्टी को 20 लाख पाउंड दिए थे.
यहां यह बताना ज़रूरी है कि पाकिस्तान में किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए विदेश से फ़ंड लेना प्रतिबंधित है.
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने ट्वीट कर कहा कि अख़बार की रिपोर्ट इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ एक चार्जशीट है जिसने पीटीआई की विदेशी फ़ंडिंग की सच्चाई को बेनक़ाब कर दिया है.
उन्होंने इमरान ख़ान को चुनौती देते हुए कहा, “मैं इमरान ख़ान से कहता हूं कि वो फ़ाइनेंशियल टाइम्स अख़बार पर मानहानि का केस करें जिसने उनके ख़िलाफ़ ऐसी रिपोर्ट छापी है. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं और मैं आश्वस्त हूं कि वो नहीं करेंगे, तो इससे यह एक बार फिर साबित हो जाएगा कि वो कितना झूठ बोलते हैं और वो किस तरह से पाकिस्तान की जनता को धोखा दे रहे हैं.”
इसी मामले में ब्रिटेन में रह रहे एक पाकिस्तानी कारोबारी का नाम भी सामने आया है. कारोबारी आरिफ़ नक़वी दुबई के अबराज़ ग्रुप के संस्थापक भी हैं.
आरिफ़ नक़वी पर आरोप हैं कि उन्होंने निजी क्रिकेट मैच कराकर इमरान ख़ान की पार्टी के लिए विदेशी फंड इकट्ठा किया था.
आरिफ़ नक़वी को अप्रैल 2019 में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर साल 2019 में गेट्स फाउंडेशन और अन्य निवेशकों से फंड लेने का आरोप है. ये फंड एशिया और अफ़्रीका में अस्पताल बनाने के लिए रखा गया था.
इमरान ख़ान ने एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा, ”आरिफ़ नक़वी पाकिस्तान का वो टैलेंट था जो जितना ऊपर जाता उतना पाकिस्तान को फायदा पहुंचाता. मैं इसे 20-25 सालों से जानता हूं. ये सबसे तेज़ी से बढ़ रहा था. ये कैंसर के इलाज के लिए शौकत खानम को बहुत पैसे देता था.”
”2012 में इसने पीटीआई के लिए दो बार फंड रेज़ किया. पहला इसने अपने ग्राउंड में एक मैच आयोजित किया. सेलिब्रिटी मैच और डिनर किया. दूसरा इसने दुबई में शीर्ष कारोबारियों को बुलाकर इवेंट किया. ये राजनीतिक फंड रेज़िंग है. पूरी दुनिया के अंदर ऐसे पैसे इकट्ठे किए जाते हैं. हमारी पार्टी पहली है जिसने राजनीतिक फंड रेज़िंग से पैसा इकट्ठा किया.”
”हमारे पास पैसे देने वाले डोनर्स का 40 हज़ार का डेटाबेस है. शौकत खानम के लिए हर साल नौ अरब रुपया इकट्ठा होता है जिसमें कैंसर के मरीज़ों का 75 प्रतिशत फ्री इलाज करते हैं. पीएमएल और पीपल्स पार्टी के पास फंड का डेटाबेस ही नहीं है. ये बड़े-बड़े कारोबारियों को साथ लाते हैं फिर सरकार में आकर उनके साथ पैसा बनाते हैं और फिर उन्हीं से पार्टियां पैसे ले लेती हैं. इसे क्रॉनी कैपिटलिज़्म कहते हैं.”
पार्टी संस्थापक के आरोप
इमरान ख़ान की पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक अकबर एस बाबर ने साल 2014 में केस दायर किया था जिसमें उन्होंने इमरान ख़ान पर पार्टी को मिलने वाली विदेशी फ़ंडिंग में गंभीर अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था. बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.
लेकिन वो केस अब तक चल रहा है और उस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पिछले महीने इस मामले में फ़ैसला सुरक्षित रखा था.
फ़ाइनेंशियल टाइम्स में ख़बर छपने के बाद विदेशी फ़ंडिंग केस पर जल्द फ़ैसला सुनाने की मांग बढ़ गई है.
सत्ताधारी पार्टियों के एक दल ने चुनाव आयोग से मुलाक़ात की और जल्द फ़ैसला सुनाने की अपील की.
पीटीआई ने क्या कहा
लेकिन इमरान ख़ान की पार्टी का कहना है कि यह कोई विवाद ही नहीं है. पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई के वरिष्ठ नेता शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनके विरोधी इस मामले में बिना कारण शोर मचा रहे हैं. एक और नेता फ़व्वाद चौधरी ने कहा कि इन सबके पीछे इसराइली लॉबी है.
फ़व्वाद चौधरी ने चुनाव आयोग पर भी हमला किया. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं होता कि जिसे कोई फ़ैसला सुनाना हो वो किसी एक पक्ष से मिलकर उनसे उस मामले में बातचीत करे.
लेकिन चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि चुनाव आयोग से सभी पार्टियों के लोग मिलते हैं और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का मिलना कोई ख़ास बात नहीं है. चुनाव आयोग ने कहा कि सबसे ज़्यादा मुलाक़ात पीटीआई के नेताओं ने की है.
-एजेंसी
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