अर्धनारीश्वर का अभिषेक मैं नहीं करूंगी तो कौन करेगा… मैं 8 अगस्त को बनारस के ज्ञानवापी महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने जाऊंगी। यह कहना है पशुपतिनाथ अखाड़े की किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी का। हिमांगी सखी को प्रथम किन्नर भागवताचार्य का सम्मान भी प्राप्त है।
किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कहा कि सावन का महीना अर्धनारीश्वर देवाधिदेव महादेव का होता है। ऐसे में इस पवित्र महीने में वो आठ अगस्त को बनारस स्थित विश्वेश्वर ज्ञानवापी महादेव का जलाभिषेक करने हर हाल में जाएंगी। भले ही इसके लिए उनको जेल जाना पड़े या उनकी जान चली जाए।
जबलपुर से दो किन्नर साथियों और संतों को लेकर जाएंगी बनारस
हिमांगी सखी ने कहा कि वे जबलपुर से करीब दो दर्जन किन्नर-साथियों और अन्य संतों के साथ बनारस के लिए रवाना होंगी। इस मौके पर सावन माह के अंतिम सोमवार के दिन वृंदावन से भी 800 संत वाराणसी पहुंचेंगे। हम सभी लोग बनारस के गंगाघाट से गंगाजल लेकर कांवड़-यात्रा के रूप में विश्वेश्वर ज्ञानवापी महादेव का जलाभिषेक करने जाएंगे। इस दौरान हमको प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया, तो हम वहीं अनशन पर बैठ जाएंगे। कोई भी ताकत धार्मिक स्वतंत्रता के हमारे अधिकारों का हनन नहीं कर सकता।
पशुपतिनाथ पीठ से मिली उपाधि
हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े से मिली है। यह अखाड़ा नेपाल में है। 2019 में प्रयागराज में हुए कुंभ में नेपाल के गोदावरी धाम स्थित आदिशंकर कैलाश पीठ के आचार्य गौरीशंकर महाराज ने उन्हें पशुपतिनाथ पीठ की महामंडलेश्वर की उपाधि दी। अब तक महामंडलेश्वर हिमांगी सखी बैंकाक, सिंगापुर, मारीशस सहित अनेक स्थानों पर 50 से अधिक भागवत कथाएं कर चुकी हैं।
...तो कर लूंगी खुद का अभिषेक!
किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कहा कि संभव है कि प्रशासन ने उनको ऐसा करने से रोकने का प्रयास करे, अनुमति प्रदान न करें। अगर ऐसा हुआ तो मैं खुद का अभिषेक करा लूंगी। मेरा मानना है कि किन्नर भी इस धरती पर अर्धनारीश्वर का प्रतीक हैं। भगवान भोलेनाथ भी अर्धनारीश्वर हैं।
वजू का अधिकार रहा तो जलाभिषेक में क्या हर्ज
किन्नर-महामंडलेश्वर ने कहा कि अगर वहां मुस्लिम समाज को वर्षों तक वजू करने का अधिकार मिला रहा तो क्या हम हिंदू समाज के लोग सावन में भी अपने महादेव का जलाभिषेक नहीं कर सकते?
गौरतलब है कि महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने इससे पहले 12 जून को वृंदावन में विश्वेश्वर महादेव के जलाभिषेक की अनुमति मांगने की बात कही थी। तब उन्हें कुछ संगठनों से धमकियां भी मिली थीं लेकिन उनका कहना है कि उनको ऐसी धमकियों से कोई असर नहीं पड़ता।
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मूल रूप से मुंबई की रहने वाली हैं। माता-पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वे वृंदावन चली गईं। वहां गुरु की शरण में रहकर उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया। फिर गुरु आज्ञा पर धर्म का प्रचार करने वृंदावन छोड़कर मुंबई चली गईं, जहां उन्होंने बॉलीवुड में अभिनय भी किया।
-एजेंसी
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